दौसाभीलवाड़ाजयपुर.
राजस्थान की निवर्तमान गहलोत सरकार के समय सिलिकोसिस बीमारी के प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में दौसा जिले के मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते गहलोत सरकार के समय यह मामला सामने आया था। अब राजस्थान में जैसे ही भजनलाल सरकार अस्तित्व में आई, वैसे ही प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस नीति पर काम शुरू करते हुए सूबे में कांग्रेस राज में हुए भ्रष्टाचार पर प्रहार होना शुरू हो गया।
बता दें कि भजनलाल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए दौसा, जयपुर, भीलवाड़ा जिले सहित में फर्जी तरीके से रोगियों को सिलिकोसिस के प्रमाण पत्र जारी कर करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में चिकित्सा विभाग की और से बड़ी कार्रवाई की है।
इस कार्रवाई में दौसा जिले के 6 डॉक्टरों सहित अन्य जिलों के 3 डॉक्टर और दौसा के 11 चिकित्सा कर्मचारियों को एपीओ के आदेश हो गये है। दरअसल, अकेले दौसा जिले में सिलिकोसिस मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे थे, जिसके चलते चिकित्सा विभाग को लगातार चिकित्सकों द्वारा मिलीभगत कर रोगियों को फर्जी तरीके सिलिकोसिस के प्रमाण पत्र जारी करने की शिकायतें भी मिल रही थी।
बड़ा घोटाला होने की परतें खुलने लगी
शिकायतें मिलने में करोड़ों रुपए के घोटाले की आशंका के चलते प्राचार्य एवं नियंत्रण मेडिकल कॉलेज जयपुर द्वारा राज्य स्तरीय चेस्ट रीडियोग्राफ कमेटी का गठन किया। इसके साथ ही दौसा जिला कलेक्टर द्वारा मामले की जांच के लिए एक जिला स्तरीय कमेटी का गठन भी हुआ, तो सिलिकोसिस मामले की बारीकी से जांच करने के दौरान सिलिकोसिस मामले में बड़ा घोटाला होने की परतें खुलने लगी।
प्रमाण पत्र जारी करने की बात सामने आई
इधर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त शासन सचिव निमिषा गुप्ता ने बताया कि सिलिकोसिस बीमारी में बांटे गए फर्जी प्रमाण पत्रों की शिकायतें आने के चलते राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय कमेटी बनाकर जांच की गई। जांच में फर्जी तरीके से रोगियों को सिलिकोसिस बीमारी के प्रमाण पत्र जारी करने की बात सामने आई।
भीलवाड़ा के चिकित्सक भी पीछे नहीं रहे
इस सारे मामले में मजे की बात तो यह भी है कि सिलिकोसिस बीमारी के नियम कानून को बीच में रखकर अनैतिक तरीके से भुगतान भी मरीज को दे दिया। इस भुगतान से राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान होने की बात भी जांच में पुष्टि हुई है। जांच में सामने आया है कि रोगियों की सिलिकोसिस रिपोर्ट को फर्जी तरीके से एप्रूवल देने में दौसा जिले के चिकित्साकर्मियों सहित जयपुर और भीलवाड़ा जिले के चिकित्सक भी पीछे नहीं रहे। अब राजस्थान के इन तमाम डॉक्टर पर एपीओ का फैसला लिया गया है।