पटना.
जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने के बाद बिहार में सियासत शुरू हो गई है। राजद और जदयू नेताओं का दावा है कि उनकी ओर से काफी समय से जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की ओर से तो सोशल मीडिया पोस्ट तक दिखा गया जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की थी। कर्पूरी की विरासत पर अपना एकाधिकार मानने के लिए बिहार के सियासी दलों के बीच होड़ सी मच गई है।
भाजपा के फायरब्रांड और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मामले पर महागठबंधन सरकार पर जमकर हमला बोला है। बुधवार को मीडिया से बातचीत के बेगूसराय में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और लालू यादव कांग्रेस की गोद में खेलते रहे लेकिन जननायक कर्पूरी ठाकुर को क्यों नहीं भारत रत्न नहीं दिला पाए? कांग्रेस ने गांधी परिवार को छोड़कर किसी को सम्मान नहीं दिया। न सरदार पटेल को और न ही बाबा साहेब को। पीएम नरेंद्र मोदी एक तरफ प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होकर सनातन पुर्नजागरण का काम करते हैं तो वहीं कर्पूरी जी को भारत रत्न देकर वंचितों को सम्मान देते हैं। कर्पूरी वंचितों की आवाज थे। कर्पूरी जी सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। कर्पूरी जी का सम्मान समाज, दलित, पिछड़ों का सम्मान है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार कर्पूरी जी को बेचकर वोट लेने वाले लोग हैं।
कांग्रेस जिन्हें अब तक सम्मान नहीं दे पाई, उन्हें भाजपा ने सम्मान दिया
सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव द्वारा कर्पूरी ठाकुर को सम्मान देने की मांग को खारिज करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि यह कर्पूरी जी के लिए इन लोगों ने कौन सी मांग की। यह सम्मान केवल नरेंद्र मोदी की संवेदना के कारण हुआ। इस सम्मान से केवल कर्पूरी जी का सम्मान नहीं है। बल्कि बिहार समेत पूरे देश के वंचितो का सम्मान हुआ। 1977 में कर्पूरी जी और कैलाशपति मिश्र ने मिलकर आरक्षण का एक फॉर्मूला बनाया था। लेकिन, इस फॉर्मूलों को लालू यादव ने निरस्त कर दिया। कांग्रेस जिन्हें अब तक सम्मान नहीं दे पाई, उन्हें भाजपा ने सम्मान दिया। कांग्रेस का मापदंड दूसरा था और मोदी जी का मापदंड महापुरुषों के प्रति दूसरा है। कर्पूरी जी को भारत रत्न मिलने से आज पूरे बिहार में हर्ष उल्लास का माहौल है। गिरिराज सिंह ने एक तरफ 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कर पुर्नजागरण किया और अब कर्पूरी जी को भारत रत्न देकर माता सबरी को सम्मान देने का काम किया है। लालू यादव खुद को पुरोधा कहते हैं, उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल में क्यों नहीं दिलवा पाए।