पटना.
गजब की ठंड थी सुबह सात बजे। सड़क पर ठंडक है। कोई गरमाहट नहीं। बिहार सरकार के मौसम ऐप में पटना में सुबह का न्यूनतम तापमान नौ डिग्री का दिख रहा था। जबकि गया का 8.1 डिग्री। इधर, बस, स्कूली बसें आ-जा रहीं। कहीं सुबह नौ बजे तो कहीं सुबह साढ़े नौ बजे से स्कूल पहुंचना है नवीं-दसवीं के बच्चों को। इसके लिए स्कूल से दूर रहने वाले बच्चों को सात से साढ़े सात के बीच तैयार हो जाना पड़ता है।
सो, यही वक्त चुना असल स्थिति समझने के लिए। क्या इन्हें ठंड नहीं लगती? पता चला, नवीं-दसवीं के बच्चों को अभिभावक स्टॉप तक पहुंचाने के लिए जागना नहीं चाहते। बच्चों ने तो मजबूरी बताई। प्राइवेट स्कूल के बच्चों ने कहा- "नहीं जाएंगे तो कुछ छूट जाएगा।" सरकारी स्कूल वाले सीधे बोले- "तीन दिन गायब रहने पर नाम ही कट जाएगा।" आठवीं कक्षा तक के स्कूलों के लिए बिहार में 20 जनवरी तक छुट्टी घोषित है। आज आगे का फैसला होगा। ऊपर की कक्षाओं के बच्चे सरकार की तरफ देख रहे हैं।
सरकार! सुनो, ठिठुरते बच्चों के मन की बात
निजी विद्यालय की छात्रा सानिया का कहना है कि ठंड बहुत है इसलिए फिलहाल स्कूल बंद होनी चाहिए। वहीं सम्मी समीना ने कहा कि ठंढ़ की वजह से मैं तो कोचिंग भी नहीं जाती हूं। ठंड को देखते हुए स्कूल बंद होनी चाहिए। छात्रा शंभवी सिन्हा ने बताया कि ठंड सबको लगती है और ठंड को देखते हुए फिलहाल स्कूल बंद कर देनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़ाई बाधित न हो सके इसलिए सरकार को मौसम अनुकूल होने तक ऑनलाइन की पढ़ाई की व्यवस्था करनी चाहिए। 9वीं की छात्रा तृप्ति प्रिया का कहना है कि ठंड बहुत है। स्कूल बंद हो या ना हो लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई भी शुरू होनी चाहिए। तृप्ति प्रिया ने कहा कि कुछ बच्चों के परिजन ऑनलाइन पढ़ाई से खुश नहीं होते हैं। उनका मानना है कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के बजाय मोबाइल से कुछ और भी करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों पढ़ाई होनी चाहिए। केदारनाथ बालिका उच्च विद्यालय की 9 वीं की छात्रा बॉबी कुमारी का कहना है कि ठंड बहुत है ऐसे में विद्यालय बंद हो जाना चाहिए। लेकिन 22 जनवरी से हम लोगों की मासिक परीक्षा है, इसलिए हम लोगों के लिए विद्यालय बंद नहीं है। बॉबी कुमारी ने यह भी कहा कि विद्यालय में शिक्षक कहते हैं कि तीन दिन अगर विद्यालय नहीं आओगे तो नाम काट दिया जायेगा, इसलिए प्रचंड ठंढ़ होने के बाद भी विद्यालय आना हमारी मज़बूरी है।
शिक्षक मजबूरी में बता रहे स्कूल को मजबूर
निजी स्कूल की शिक्षिका संतोषी सिंह ने कहा कि यह जिलाधिकारी का आदेश है, इस वजह से सिर्फ वर्ग 1 से 8 तक के बच्चों के लिए ही विद्यालय बंद किया गया है। दसवीं के छात्रों की फरवरी महीने में अब परीक्षा होनी है। अभी उनकी तैयारी करने का समय है। इसलिए उनके लिए विद्यालय बंद नहीं किया जा सकता लेकिन हां नवमी और ग्यारहवीं वर्ग के बच्चों के लिए विद्यालय बंद किया जा सकता है। संतोषी सिंह ने यह भी कहा कि उनका सिलेबस भी खत्म करना जरूरी है और उस सिलेबस को पूरा करने के लिए फिलहाल ऑनलाइन की पढ़ाई शुरू की जा सकती है। शिक्षिका संतोषी सिंह ने यह भी कहा कि क्लास नवमी, दशमी, 11वीं और 12वीं के बच्चे खुद भी अपना ख्याल रख सकते हैं इसलिए उनके लिए विद्यालय को बंद करना अनावश्यक समझ गया। संतोषी सिंह ने यह भी माना कि अगर सरकार चाहे तो क्लास 9वीं और 11वीं के लिए फिलहाल ऑनलाइन की पढ़ाई हो सकती है।
अभिभावक बता रहे- क्या होना चाहिए रास्ता
अपनी बेटी को कोचिंग के लिए छोड़ने आये फार्मा कंपनी के जोनल मैनेजर कुमार रवि और स्वर्ण व्यवसायी राजेश कुमार का कहना है कि ठंड सबको लगती है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ क्लास 1 से लेकर 8 तक के ही बच्चों को ठंड लगती है बल्कि 9वीं, 10वीं,11वीं और 12वीं वर्ग के बच्चों को भी ठंढ लगती है। जोनल मैनेजर कुमार रवि का कहना है कि ऑनलाइन की वैकल्पिक व्यवस्था पहले भी हो चुकी है, जिस समय कोरोना की बीमारी आई थी। इसलिए मौसम अनुकूल होने तक सरकार को ऑनलाइन पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था एक बार फिर से करने की जरूरत है। राजेश कुमार ने कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। इस संबंध में मुकेश कुमार का कहना है कि जिस तरह से ठंड और कपकपी है उस हिसाब से कम से कम इंटर तक के स्कूल को बंद कर देना चाहिए। धूप होने पर विद्यालय खुले तो बेहतर है।