नई दिल्ली
चुनावी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए आम चुनावों से पहले अच्छी खबर सामने आई है। नीति आयोग ने सोमवार को देश में गरीबी रेखा से जुड़ी एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया है कि देश में पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मामले में गरीबी से बाहर आए हैं। नीति आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि गरीबी में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में आई है। बिहार को छोड़ दें तो बाकी के इन दोनों ही राज्यों में लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है।
रिपोर्ट आने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी अधिकारियों से खास आग्रह किया है। पीएम मोदी ने मंगलवार को रामायण का जिक्र करते हुए अधिकारियों से देश में 'रामराज्य' लाने के लिए भगवान राम के सिद्धांतों का पालन करने को कहा। साथ ही पीएम ने पिछले नौ वर्षों में अपनी सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का भी जिक्र किया जिसके चलते 25 करोड़ लोगों को 'गरीबी से मुक्ति' मिली है।
प्रधानमंत्री श्री सत्यसाई जिले के पलासमुद्रम में नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम इनडायरेक्ट टैक्स एंड नारकोटिक्स (एनएसीआईएन) का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। एकेडमी के नए परिसर के उद्घाटन के बाद अधिकारियों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्मयोगियों (नौकरशाहों) को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए ताकि आसानी से बिजनेस करने का माहौल बन सके।
इस दौरान पीएम मोदी ने रामायण के कई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कोई राजा नहीं होता। जनता ही राजा है। उन्होंने कहा, "भगवान राम सुशासन का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। वह आपके संगठन के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं। महात्मा गांधी कहते थे कि रामराज्य का विचार ही लोकतंत्र का असली विचार है… रामराज्य एक ऐसा लोकतंत्र है जहां हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है और सही न्याय किया जाता है।"
प्रधानमंत्री की ये टिप्पणी अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले आई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं और इस अवधि के दौरान मंदिर में आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने माना कि देश में राम भक्ति का माहौल व्याप्त है। मोदी ने कहा कि भगवान राम सामाजिक जीवन में सुशासन की मिसाल हैं और वह एनएसीआईएन के लिए प्रेरणास्रोत हो सकते हैं, जिसकी भूमिका देश को एक आधुनिक पारिस्थितिकी तंत्र देने की है।
देश में पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मामले में गरीबी से बाहर आये हैं। नीति आयोग ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि गरीबी में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में आई है। बहुआयामी गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर में सुधार के जरिए मापा जाता है। नीति आयोग के परिचर्चा पत्र के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत थी जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रही। इसके साथ इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा है, ‘‘बहुत उत्साहजनक। यह समावेशी विकास को आगे बढ़ाने और हमारी अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलावों पर ध्यान केंद्रित करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम चौतरफा विकास और प्रत्येक भारतीय के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे।’’ आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मोर्चे पर स्थिति को मापती है। यह 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाए जाते हैं।
इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। नीति आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए ‘अलकायर फोस्टर पद्धति’ का उपयोग करता है। हालांकि, राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक हैं। राज्य स्तर पर, उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले और इस मामले में यह सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।