Home विदेश भारत के पड़ोसी देश चीन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, ...

भारत के पड़ोसी देश चीन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन की ताकतवर सेना के बीच टकराव की स्थिति

9

चीन
भारत के पड़ोसी देश चीन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन की ताकतवर सेना के बीच टकराव की स्थिति है। दरअसल शी जिनपिंग अपनी सेना को तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी के लिए कह रहे हैं। लेकिन सेना का कुछ और ही मानना है। ऐसे में जिनपिंग ने सेना में 'छंटनी' शुरू की है। जिनपिंग चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुखिया हैं। दरअसल पीएलए चीन की सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की एक सशस्त्र शाखा है। PLA केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अधीन काम करती है। सीएमसी का अध्यक्ष ही PLA का कमांडर-इन-चीफ होता है, जोकि खुद शी जिनपिंग है। लेकिन सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ जिनपिंग की बन नहीं रही है।

जिनपिंग की इच्छा के खिलाफ खड़े हो रहे कमांडर
बिजनेस इनसाइडर ने सैन्य विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि जिनपिंग चीन की अपनी ही सेना के साथ लड़ रहे हैं। वे उन कमांडरों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें वे युद्ध में जाने के लिए असमर्थ मानते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडर युद्ध में जाने की जिनपिंग की इच्छा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट में गेटस्टोन इंस्टीट्यूट के एक सीनियर फेलो और "चाइना इज गोइंग" के लेखक गॉर्डन चांग के हवाले से ये बात कही गई है। चांग का कहना है कि चीनी नेता "सेना पर कंट्रोल हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, और मुझे लगता है कि वह सोच रहे हैं कि उन्हें ऐसे अधिकारियों की जरूरत है जो असल में युद्ध लड़ने के लिए तैयार हों।" उनका मानना है कि चीनी सेना में युद्ध के झमेले में नहीं पड़ने की भावना विकसित हो रही है। चांग ने बताया कि जिनपिंग एक ऐसी सेना का नेतृत्व कर रहे हैं जो युद्ध में जाने को लेकर दुविधा में है।

झटके में नौ वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया
जिनपिंग ने साल 2012 में चीन की सत्ता संभाली थी। सत्ता संभालने के साथ ही जिनपिंग का मुख्य एजेंडा चीनी सेना को अमेरिका की तर्ज पर विकसित करने का रहा है। इसको लेकर उन्होंने चीनी सेना में कई सुधार किए, सैन्य-नागरिक सहयोग को बढ़ावा दिया। पिछले साल 29 दिसंबर, 2023 को जिनपिंग ने एक झटके में नौ वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था।

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट सहित कई जानकारों का मानना है कि जिनपिंग ने सेना में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए ये कदम उठाए और कई अन्य चीनी अधिकारियों को भी अचानक बर्खास्त कर दिया। हालांकि, चांग का कुछ और ही मानना है। उन्होंने कहा, "अगर भ्रष्टाचार मुद्दा होता तो उन सभी को बर्खास्त कर दिया जाता।" उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग संभवतः उन अधिकारियों को हटा रहे हैं जो युद्ध में जाने की इच्छा नहीं दिखा रहे हैं। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने चीनी वायु सेना के जनरल लियू याझोउ का जिक्र किया। एशियान्यूज एजेंसी के अनुसार, लियू याझोउ ने चीन को ताइवान पर हमला करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। बाद में चीन ने उन्हें फरवरी 2022 में मौत की सजा सुनाई थी। रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में चीनी सैन्य मामलों के प्रोफेसर का भी बयान है। सीनियर रिसर्च फेलो जोएल वुथनो का कहना है कि भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करना और चीन को युद्ध के लिए तैयार करना एक ही बात है। उन्होंने कहा, "सेना के अधिकारियों को बाहर निकाल फेंकने से संकेत मिलता है कि जिनपिंग अपनी सुधार नीतियों में फेल रहे। वे इस बात से परेशान हैं कि उन्होंने एक दशक से सेना के जवानों और हथियारों पर जो निवेश किया है वह फेल हो रहा है।" वुथनो ने कहा कि जिन नौ सीनियर कमांडरों को निकाला गया वे चीन की रॉकेट फोर्स में शामिल थे। इस फोर्स की किसी भी सैन्य अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

तीसरे विश्व युद्ध के चर्चे
चीन दुनिया के उन देशों में शुमार है जिसके लगभग हर पड़ोसी देश से रिश्ते खराब हैं। चीन अपने कई निकट पड़ोसियों के साथ दुश्मनी मोल ले चुका है। विवादित हिमालय रीजन में भारत, पूर्वी चीन सागर में जापान, दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस और ताइवान सहित कई देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है। पिछले पांच वर्षों में चीन ने ताइवान के वायु-रक्षा क्षेत्र में कई बार घुसपैठ की। इसे देखते हुए अमेरिकी नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों ने कहा है कि चीन अगले कुछ वर्षों में ताइवान पर हमला करेगा। जानकारों का मानना है कि तीसरे विश्व युद्ध के लिए हालात बन रहे हैं। चांग ने कहा कि दुनिया भर में पहले से कई देश जंग के मैदान में हैं। उन्होंने यूक्रेन में युद्ध, अफ्रीका में विद्रोह, गाजा में हमास पर इजरायल का युद्ध, और लाल सागर, फारस की खाड़ी और हिंद महासागर में सैन्य गतिविधि का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "याद रखें, 1930 के दशक में, अलग-अलग युद्ध हुए थे। अब हम उसे द्वितीय विश्व युद्ध कहते हैं।" उन्होंने कहा कि आज भी वैसा ही हो रहा है। उन्होंने कहा, "वही हालात आज भी मौजूद है, और यह (तीसरा विश्व युद्ध) पूरी तरह से संभव है। कुछ लोग यह भी तर्क दे सकते हैं कि ये झड़पें जल्द ही वैश्विक उथल-पुथल में बदल जाएंगीा।" उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि अगर पूर्वी एशिया में चीनी हमला हुआ तो पश्चिमी देशों को भी इसमें शामिल होना पड़ेगा।