मुजफ्फरपुर
कहते हैं मेहनत करने वाले की हार नहीं होती और सफलता किसी की मोहताज नहीं होती। मुजफ्फरपुर के सैफ अली ने कुछ ऐसा ही कमाल किया है। उन्होंने बीपीएससी 68वीं एग्जाम में 40वीं रैंक हासिल की है। इस कामयाबी के बाद वो अफसर बन गए हैं। उनकी सक्सेस स्टोरी काफी प्रेरणा दायक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कैसे एक सब्जी विक्रेता का बेटा अब SDO बन गया है। सैफ अली ने BPSC फाइनल रिजल्ट में 40वीं रैंक हासिल कर मुजफ्फरपुर का मान बढ़ाया है। बेटे की इस कामयाबी पर उनके पिता के आंसू छलक गए। उन्होंने बताया कि बेटे के कमाल से उन्हें कितनी राहत मिली है।
मुजफ्फरपुर के सैफ का BPSC में कमाल
सैफ अली अभी पूर्वी चंपारण के ढाका नगर परिषद में वेस्ट मैनेजमेंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। सैफ का यह दूसरा प्रयास था। पहले प्रयास में उन्हें 150वीं रैंक हासिल हुई थी पर उससे वह संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने काम के साथ बीपीएससी की तैयारी जारी रखी। अब अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 40वीं रैंक लाकर मां-बाप का सपना पूरा कर दिखाया। सैफ की सफलता के बाद घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
बेटे की सफलता पर पिता के छलके आंसू
सैफ की सफलता पर उन्हें पूरे परिवार ने बधाई दी और उन्हें मिठाई खिलाई। सैफ ने बताया कि पिता ने सब्जी बेचकर हम छह भाई बहनों को पढ़ाया है। हमने बचपन से देखा है कि चाहे कितनी ठंड और बारिश हो रही हो, पिता जी सुबह नहाकर मंडी चले जाते हैं। उनके हार्डवर्क ने ही मुझे हार्डवर्क करने के लिए प्रेरित किया। अब दूसरे प्रयास में मेरी 40वीं रैंक आई है। मुझे यह सफलता मिली है जिसका श्रेय मेरे पिता जी को जाता है।
सैफ ने पिता को दिया अपनी सफलता का क्रेडिट
सैफ के पिता का नाम अब्दुल खालिक है जो रामबाग चौड़ी मोहल्ले के मकान में रहकर अपना जीवनयापन करते हैं। मुजफ्फरपुर के गोला सब्जी मंडी में सब्जी बेचकर बेटे को पढ़ाया और इंजीनियर बनाया। सैफ की सफलता में उसके मेहनत के साथ उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है। सैफ अली ने जिस तरह से नौकरी के साथ बीपीएससी की तैयारी जारी रखी और अपनी रैंक में सुधार किया ये दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।