नई दिल्ली
22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। इस दिन के लिए उत्तरप्रदेश ही नहीं पूरे देशभर में लोग काफी उत्साहित हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के वक्त गर्भगृह में उपस्थित रहने वाले पांच लोगों में एक पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित भी हैं। इनका राम मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में चयन हुआ है। आयोजन में हालांकि वैदिक मंत्रोच्चार के दौरान कुल 121 पुजारी उपस्थित रहेंगे लेकिन, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने का सौभाग्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित को मिलेगा। लक्ष्मीकांत दीक्षित के पूर्वजों में एक मशहूर पंडित गागा भट्ट भी हैं, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया था।
अयोध्या राम मंदिर में प्रधान अर्चक के तौर पर प्राण प्रतिष्ठा का सौभाग्य पाने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों से काशी में ही रह रहा है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, उनके बेटे सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित का कहना है कि पहले हमारे पूर्वज महाराष्ट्र में रहते थे और वहीं पूजा अर्चना का कार्य किया करते थे। वो बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने नागपुर और नासिक की रियासतों में कई धार्मिक अनुष्ठान कराए हैं।
मशहूर पंडित गागा भट्ट के वंशज
अयोध्या राम मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे सुनील का कहना है कि वह यज्ञ और कई धार्मिक अनुष्ठानों में माहिर हैं। कई वर्षों से वे काशी में यह काम कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों में एक विश्वेश्वर दत्त हैं, जिन्हें दुनिया गागा भट्ट के रूप में जानती है। गागा भट्ट ने 17वीं शताब्दी में काफी प्रसिद्धि पायी थी।पंडित गागा भट्ट ने 1674 में छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक की अध्यक्षता की थी। गागा भट्ट के पूर्वज महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण थे, जो मूल रूप से महाराष्ट्र में पैठन के पास एक गांव के थे। हालांकि, बाद में वे पवित्र शहर वाराणसी चले गए।
121 पंडितों का करेंगे नेतृत्व
लक्ष्मीकांत दीक्षित अयोध्या राम मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के तौर प्रधान पुजारी होंगे। वह 16 से 22 जनवरी के बीच मूर्ति प्रतिष्ठा अनुष्ठान को संपन्न कराने के लिए देशभर से आने वाले वेदों की सभी शाखाओं के 121 पंडितों की टीम का नेतृत्व करेंगे। पंडितों की इस टीम में काशी के 40 से अधिक विद्वान भी शामिल होंगे।
वेदों के अच्छे जानकार
लक्ष्मीकांत वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य हैं। इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश की मदद से की गई थी। लक्ष्मीकांत पूरे काशी में वेदों के अच्छे जानकार माने जाते हैं। यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में लक्ष्मीकांत दीक्षित की गिनती की जाती है। यही ही नहीं पूजा पद्धति में भी लक्ष्मीकांत माहिर माने जाते हैं। उन्होंने वेदों और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित भट्ट से ली थी।