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पुलिस ने डंकी नेटवर्क के माध्यम से लोगों को विदेश भेजने व मानव तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया, खुलासे से हड़कंप

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नई दिल्ली
पूर्वी दिल्ली की मयूर विहार थाना पुलिस ने डंकी नेटवर्क के माध्यम से लोगों को विदेश भेजने व मानव तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस टीम ने बांग्लादेशी, नेपाली व भारतीयों समेत कुल 09 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 6 मानव तस्कर और तीन अवैध रूप से भारत में रह रहे लोग शामिल हैं। आरोपियों के पास से पुलिस ने 226 पासपोर्ट, 07 लैपटॉप, 12 मोबाइल फोन, 03 पेनड्राइव और प्रिंटर बरामद किए हैं। इसके साथ ही आरोपियों के पास से 50 फर्जी पुलिस क्लीयरेंस प्रमाण पत्र, शैक्षिक प्रमाण पत्र, यूरोपी देशों में काम करने की फर्जी कार्य अनुमति पत्र, पीड़ितों की सूची और 150 फर्जी बांग्लादेशी नोटरी कागजात इत्यादि भी मिले हैं। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर मामले की विस्तृत छानबीन कर रही है।

ऐसे दबोचे गए आरोपी
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अचिन गर्ग ने बताया कि 04 जनवरी को पुलिस को भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के मयूर विहार इलाके में आने की सूचना मिली थी। यह भी पता चला कि आरोपी मानव तस्करी के कार्य में संलिप्त हैं। सूचना के आधार पर पुलिस ने आरोपी को दो अन्य बांग्लादेशी आरोपियों के साथ मयूर विहार पॉकेट 01 मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान बांग्लादेश के गाजीपुर के मोहम्मद अनोवर काजी, हबीबगंज के मोहम्मद खोलिलुर रहमान और कोमिला जिले के इमरान हुसैन के रूप में हुई।

बांग्लादेशी नागरिकों से खुला डंकी नेटवर्क का राज
आरोपियों की तलाशी लेने पर अनोवर के पास से पासपोर्ट, ग्रीक वर्क परमिट व मोबाइल फोन मिला। मोबाइल फोन की जांच में पता चला कि आरोपी किसी गिरोह का हिस्सा है। वह लगातार तस्करों इत्यादि के संपर्क में था। इस दौरान उनसे आरोपी ने फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य भारतीय कागजातों को बनाने की बातचीत की थी। रहमान के पास से पुलिस को एक पासपोर्ट की फोटोकॉपी, ग्रीक वर्क परमिट और अन्य कागजात मिले।

ढाका में मैनपावर कंसल्टेंसी कंपनी का संचालक है सरगना
रहमान और इमरान के भी मोबाइल फोन की जांच की गई। उनके मोबाइल फोन में भी गिरोह से संबंधित बातचीत पाई गई। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे डंकी नेटवर्क के माध्यम से यूरोपीय देशों में जाने के लिए अवैध रूप से भारत में रह रहे थे। आगे की पूछताछ में पता चला कि आरोपी तस्कर बांग्लादेश के ढाका आधारित एक मैनपावर कंसल्टेंसी की मदद से ढाका के नागरिकों को भारत से होकर यूरोपीय देशों में डंकी नेटवर्क के माध्यम से भेजते हैं। आरोपियों का सरगना ढाका में मैनपावर कंसल्टेंसी कंपनी का संचालन करता है।

पांच लाख के अग्रिम भुगतान समेत लाखों रुपये वसूलते थे आरोपी
पूछताछ में अनोवर की निशानदेही पर पुलिस ने सरिता विहार में छापा मारकर आरोपियों मोहम्मद यूनुस खान, मोहम्मद इब्राहिम और मोहम्मद अली अकबर को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 12 पासपोर्ट, 10 मोबाइल फोन व अन्य कागजात मिले। इनसे पता चला कि वे अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी अपने ढाका निवासी सरगना के साथ मिलकर अंजाम देते हैं और ज्यादा पैसे कमाने का लालच देकर भारत से होकर यूरोपीय देशों में लोगों डंकी नेटवर्क के माध्यम से भेजते हैं। इसके लिए वे लोगों से 01 से 05 लाख तक का अग्रिम भुगतान लेते हैं और भारत भेज दिए जाते हैं।

हवाला के माध्यम से बांग्लादेश से दिल्ली मंगाते थे पैसे
इब्राहिम विदेशों में कई शेल कंपनियों का संचालन करता था जिनका उपयोग आरोपी पीड़ितों को फर्जी वर्क परमिट जारी करने के लिए करता था। आरोपी भारत में पीड़ितों से बाकी के पैसे वसूलने के लिए पीड़ितों द्वारा बांग्लादेश से पैसे मंगाने में हवाला का इस्तेमाल करते थे। इससे लेनदेन नजर में आने से बच जाती थी।

ऐसे फंसाते थे जाल में
आरोपी ज्यादा खर्चे से बचने के लिए आरोपी बाद में पीड़ितों के फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनवाकर भारत में रहने के लिए कह देते हैं और फर्जी एंबेसी अधिकारियों को पेश करके यूरोपीय देशों में उनके जाने के काम जारी रहने की आश्वासन देते थे। इसी दौरान आरोपी कुछ प्रसिद्ध लोगों के साथ पीड़ितों की फोटो वगेरह भी करवा लेते थे जिसका उपयोग वे अन्य लोगों को लालच देने के लिए करते थे।

एनएसपी स्थित फर्जी कंसल्टेंसी की मदद से बनाते थे वर्क परमिट
बाद में पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने एक अन्य आरोपी मोहम्मद मोदस्सिर खान को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से भी मोबाइल फोन, लैपटॉप व तमाम फर्जी कागजात बरामद हुए। उसने पुलिस को बताया कि वह आरोपियों के फर्ज वर्क परमिट बनाता था। बाद में पीड़ितों को अच्छे दामों पर इसे अली की मदद से बेच देता है। इसमें वह नेताजी सुभाष प्लेस स्थित पैराडाइस कंसल्टेंसी की मदद लेता था। कंसल्टेंसी धीरज बिश्नोई और नरेंद्र आर्या की है। पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान एक अन्य आरोपी गौरव गुलाटी भी पकड़ा गया। वह 18 हजार के वेतन पर आरोपियों के लिए कागजातों के एडिटिंग और डाटा एंट्री का कार्य करता था। पुलिस जांच में पता चला कि उसे अवैध कार्यों की जानकारी नहीं थी।