Home व्यापार WEF चीफ ने कहा है कि भारत आने वाले समय में 10...

WEF चीफ ने कहा है कि भारत आने वाले समय में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा

2

  नई दिल्ली

भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई इकोनॉमी (Indian Economy) बना हुआ है और वर्ल्ड बैंक (World Bank), आईएमएफ (IMF) समेत तमाम वैश्विक एजेंसियों ने इस बात की सराहना की है. अब भारत की तेज रफ्तार पर भरोसा जताने वालों की इस लिस्ट में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) का नाम भी जुड़ गया है. डब्ल्यूईएफ चीफ ने कहा है कि भारत आने वाले समय में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है.

इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार रहेगी जारी
 वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बोर्गे (Borge Brende) ब्रेंडे ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने इस इंटरव्यू के दौरान भारत पर भरोसा जताते हुए कहा, 'हमें लगता है कि हम कम से कम आने वाले दो दशकों में भारत की 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के बारे में बात कर सकते हैं.' उन्होंने आगे कहा कि मंदी (Recession) और भू-राजनैतिक तनाव के अलावा कमजोर इनवेस्टमेंट सर्किल के बीच भी भारत की ग्रोथ स्टोरी बरकरार और लगातार जारी रहेगी. गौरतलब है कि सराकर ने भारत को जल्द 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य तय किया है.

8 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगा भारत
 बोर्गे ब्रेंडे के बीच ये खास बातचीत दावोस में शुरू हुई वार्षिक विश्व आर्थिक मंच (WEF) की बैठक के 54वें संस्करण के दौरान हुई. भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि भारत की विकास दर (India GDP Growth Rate) 8 फीसदी रहेगी. ब्रेंडे ने इस दौरान इजरायल-हमास युद्ध और लाल सागर संकट को लेकर भी बात की.

लाल सागर को लेकर बोले- 'बहुत कुछ दांव पर है'
WEF के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे ने लाल सागर संकट (Red Sea Crisis) पर बात करते हुए कहा कि अगर हम लाल सागर को बंद कर देते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. तथ्य यह है कि स्वेज नहर को हफ्तों के लिए बंद करने से भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला  (Global Supply Chain) पर बुरा असर होगा. इसलिए, बहुत कुछ दांव पर है.

ब्रेंडे ने आगे कहा कि इस संकट के असर को हम जानते हैं कि इसका तेल की कीमतों (Oil Price) पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों पर इसका बड़ा असर दिखाई दे सकता है, जहां तेल की कीमतों में 10-20 डॉलर की वृद्धि का प्रभाव सीधे देश की इकोनॉमी पर पड़ सकता है.