भोपाल
सोलहवीं विधानसभा में पहली बार बने विधायकों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम आने वाले पांच साल के अंदर मिल का पत्थर साबित होगा। पहली बार बने विधायकों ने प्रदेश टुडे से बातचीत करते हुए बताया कि संसदीय परंपरा को समझने के लिए भविष्य में इस तरह के आयोजन होने चाहिए। जिससे विधायकों को संविधान और अपने अधिकार के बारे में अच्छे से ज्ञान हो सकें। नए विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को साधुवाद दिया और इस तरह के आयोजन भविष्य में और कराने की गुहार लगाई। सत्ता पक्ष के विधायक हो या विपक्ष के विधायकों ने दो टूक शब्दों में कहा कि दो दिन के आयोजन से बहुत कुछ सीखने और समझने मौका मिला।
दिग्गजों के अनुभव से मिली सीख: पांडे
जबलपुर के उत्तर विधानसभा क्षेत्र बीजेपी के पहली बार विधायक बने अभिलाष पांडे ने बताया कि संसदीय परंपरा और संविधान की जानकारी रखने वाले दिग्गजों के अनुभव से बहुत कुछ सीखने को मिला। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और यूपी के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इन विषयों पर बहुत ही बारीकी से समझाने का प्रयास किया।
संसदीय परंपरा का ज्ञान जरूरी: राठौर
पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस के विधायक नितेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि चुनाव जीतना ही विधायकों का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। बल्कि संसदीय परंपरा का ज्ञान रखना भी अनिवार्य है। संसदीय परंपरा से संबंधित पुस्तकों को अध्यन अब निरंतर कंरूगा। जिससे शून्यकाल, प्रश्नकाल में अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को वजनदारी से सदन में उठा सकूं।
ऐसे आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए: सबनानी
भोपाल के दक्षिण- पश्चिम से बीजेपी के विधायक भगवान दास सबनानी ने बताया कि इस तरह के आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए। जिससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को अपने अधिकार और कर्तव्यबोध की जानकारी हो सकें। संसदीय परंपरा का ज्ञान होने से विधायक अपने क्षेत्र में अधिकार के साथ सरकार से विकास संबंधित काम आसानी से करा सकता है। कई बार संसदीय परंपरा का ज्ञान सही से नहीं होने से विधायक अपनी बात को सदन में सही से नहीं रख पाते। लेकिन इस तरह के आयोजनों से नए विधायकों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। जिसका लाभ सदन की आगामी कार्रवाई में देखने को मिलेगा।