भोपाल
राजधानी में आईसीआईसीआई बैंक की कोलार शाखा में एक नए ढंग से धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया। बैंक के अफसरों और स्टाफ ने सुनारों की मदद से नकली सोना गिरवी रखकर 4 करोड़ 63 लाख का बैंक लोन दे दिया। मामले का खुलासा बैंक के ऑडिट के दौरान हुआ। ऑडिट के बाद इसकी जानकारी तत्काल पुलिस को दी गई। पुलिस ने पड़ताल के बाद इस केस में दोषी बैंक के 4 अफसरों और कर्मचारियों, 3 सुनारों और 10 लोन लेने वाले ग्राहकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए 4 आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। जबकि, 13 अब भी फरार है।
ऐसे दिया धोखाधड़ी को अंजाम
आईसीआईसीआई की बैंक लोन स्कीम के तहत सोना गिरवी रखकर लोन दिया जाता है। इसी योजना का फायदा उठाने के लिए बैंक के स्टाफ ने स्कीम बनाई और इसमें बैंक में गोल्ड वैल्यूएशन के लिए रखे गए सुनारों को भी शामिल कर लिया। इसके बाद इन सभी ने 10 लोगों को लोन दिलाने के लिए नकली सोना रखने के लिए राजी कर लिया। इस धोखाधड़ी को अमली जामा पहनाने के लिए बैंक में नकली सोना रखने वालों का वैल्यूएशन उन्हीं सुनारों से कराया गया जो इस साजिश में शामिल थे। सुनारों ने नकली को असली सोना बताते हुए लोन पास करने के लिए अपनी सहमति दे दी। इसके बाद बैंक स्टाफ ने इन 10 ग्राहकों को 4 करोड़ 63 लाख का लोन मंजूर कर दिया।
ऐसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा
इस धोखे का खुलासा आईसीआईसीआई द्वारा की गई रेंडम इंस्पेक्शन और ऑडिट के दौरान हुआ। आईसीआईसीआई बैंक भोपाल की रीजनल हेड कंचन राजदेव द्वारा पुलिस को बताया गया कि ब्रांच में ऑडिट के बाद सामने आया कि बैंक स्टाफ, सोने का मूल्यांकन करने वाले सुनार (एवरेजर) और कुछ ग्राहकों की मदद से इस वारदात को अंजाम देकर बैंक को साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया गया है। इसकी शिकायत मिलते ही कोलार पुलिस ने जांच शुरू की, जिसे बाद में पुलिस कमिश्नर ने क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। क्राइम ब्रांच की जांच में ये साबित हो गया कि 10 कस्टमर के 36 बैंक खातों में नकली सोना गिरवी रखकर लोन लिया गया, जिनमें से 14 बैंक अकाउंट में तो बगैर सोना गिरवी रखे ही लोन दे दिया गया।
पुलिस ने 4 को लिया हिरासत में
प्रारंभिक जांच के बाद बैंक की ब्रांच के चार अफसरों और कर्मचारियों, 3 सुनारों और 10 संदिग्ध ग्राहकों के खिलाफ धारा 409, 420 और 120 बी के तहत मामला कायम कर लिया गया। इस धोखाधड़ी के लिए बैंक के सेल्स मैनेजर सौरभ खरे और रिलेशनशिप मैनेजर पवन सेन ग्राहक लाते थे और बैंक के अधिकृत सुनार (एवरेजर) रामकृष्ण, राकेश सोनी और जगदीश कुमार सोनी से नकली और कम कैरेट वाले गोल्ड लोन को असली और ज्यादा कैरेट का सर्टिफाइड कर देते थे। इस काम में बैंक मैनेजर अमित पीटर और डिप्टी मैनेजर दीक्षा मीणा भी शामिल थीं। फिलहाल पुलिस ने सुनार राकेश सोनी, और जगदीश सोनी और नकली सोना रखकर लोन लेने वाले शोभित कुमार जैन एवं अरुण शर्मा को हिरासत में ले लिया है, जबकि अन्य आरोपी फिलहाल फरार हैं। भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के अनुसार बाकी आरोपियों को भी पकड़ने के लिए टीम बना दी गई है और जल्द ही शेष आरोपी सलाखों के पीछे होंगे।