टोक्यो
जापान के इशिकावा प्रांत में आए विनाशकारी भूकंप से मंगलवार को मरने वालों की संख्या बढ़कर 202 हो गई है। यहां एक जनवरी को 7.6 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया, ''पब्लिक ब्रॉडकास्टर एनएचके के अनुसार जापान के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में 2016 के कुमामोटो भूकंप के बाद 2024 में ''नोटो पेनिनसुला अर्थक्वेक'' नामक भूकंप देश में 100 से अधिक लोगों की जान लेने वाला पहला भूकंप है। 2016 के भूकंप में 276 लोगों की जान चली गई थी।"
एनएचके ने कहा कि मौतों में से वाजिमा शहर में 81, सुजु शहर में 71, अनामिजु शहर में 18, नानाओ शहर में पांच, नोटो और शिका शहरों में दो-दो और हाकुई शहर में एक की पुष्टि हुई है। इस बीच एनएचके ने कहा कि भूकंप के कारण इशिकावा में कम से कम 565 लोग घायल हो गए, जबकि, 320 से अधिक लोग लापता हैं। एनएचके के अनुसार मंगलवार तक इशिकावा प्रांत में नोटो प्रायद्वीप में एक जनवरी को आए भूकंप के बाद से देश के सात-बिंदु भूकंपीय तीव्रता पैमाने पर कम से कम एक रेटिंग वाले 1,248 झटके दर्ज किए गए हैं।
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (जेएमए) ने सोमवार को चेतावनी दी कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आने वाले महीने में पांच या उससे अधिक तीव्रता के शक्तिशाली झटके आने की संभावना है। जेएमए अधिकारी शिन्या त्सुकादा ने संवाददाताओं से कहा कि एक जनवरी को आए 7.6 तीव्रता वाले भूकंप की संभावना कम है, लेकिन भूकंपीय गतिविधि जारी है। त्सुकादा ने इमारतों के ढहने और भूस्खलन के बढ़ते खतरे की चेतावनी दी और लोगों से खतरनाक स्थानों में प्रवेश न करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि 500 लोगों को कनाज़ावा के एक स्पोर्ट्स सेंटर में अस्थायी रूप से रखा जा सकता है, लेकिन, वहां अधिक निकासी केंद्रों की आवश्यकता है, साथ ही कहा कि सरकार निकासी के लिए होटल के कमरे खोजने के लिए भी काम कर रही है। जेएमए के अनुसार ठंडी हवाएं इशिकावा प्रांत और होकुरिकु क्षेत्र के अन्य हिस्सों के साथ-साथ निगाटा प्रांत में बर्फ ला रही हैं। नोटो प्रायद्वीप क्षेत्र के शहरों में बर्फ का जमाव सोमवार देर रात लगभग 10 सेमी तक पहुंच गया था। बर्फबारी के कारण वहां बचाव और रिकवरी प्रयासों में भी देरी हो रही है। मौसम एजेंसी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों से भूकंप से क्षतिग्रस्त इमारतों के प्रति अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया है, जो बर्फ के भार से ढह सकती हैं, और भीषण ठंड के बीच हाइपोथर्मिया से बचने का भी आग्रह किया है।