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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले-सदन में कोई अध्यक्ष नहीं चाहता निलंबन, लेकिन मर्यादा जरूरी

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भोपाल
संसद से 141 सदस्यों के निलंबन की कार्यवाही को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे प्रश्न का उत्तर मंगलवार को भोपाल में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिया। उन्होंने कहा कि काेई अध्यक्ष नहीं चाहता है कि सदस्यों का निलंबन हो पर सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाया रखना जरूरी है। सदन नहीं चलने देना है इसलिए नियोजित तरीके से व्यवधान करना लोकतंत्र के लिए अच्छी परंपरा नहीं है।

घटती बैठकों पर भी चिंता
उन्होंने संसद और विधानसभाओं की घटती बैठकों पर भी चिंता जताई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्य उपस्थित थे।

दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम
विधानसभा के मानसरोवर सभागार में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को लोकसभा अध्यक्ष ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जनता बड़ी अपेक्षा से जनप्रतिनिधि चुनकर संसद या विधानसभाओं में भेजती है। लोकतंत्र हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक ताने-बाने में है। जिस तरीके से हमारे यहां निष्पक्षता से चुनाव कराए जाते हैं, उस पर पूरी दुनिया आश्चर्य करती है। वर्ष 2001 में सभी विधानसभाओं के अध्यक्ष और दलों के नेताओं ने सदन की बैठकें कम होने और गिरती गरिमा पर चिंता जताई थी।

प्रत्येक पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में सत्र की बैठकें बढ़ाने पर चर्चा होती है। सदन सुचारू ढंच से चले, इसकी जिम्मेदारी पक्ष और प्रतिपक्ष, दोनों की है। जितने अधिक सत्र होंगे, उतनी पारदर्शिता सरकार में आएगी। सदन में कानून बनते हैं, कानून सही हो तो विपक्ष को इसमें सहयोग देना चाहिए। इनको लेकर सार्थक बहस होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारवार्ता में सदस्यों के निलंबन पर कहा कि कोई अध्यक्ष नहीं चाहता है कि निलंबन हो पर सदन की गरिमा और मर्यादा बनाकर रखना भी जरूरी है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी जब पहली बार संसद पहुंचे थे, तो लोकतंत्र के पावन मंदिर का उन्होंने शीश झुकाकर जो सम्मान किया, उससे बड़ा प्रबोधन आज के लोकतंत्र का कुछ और नहीं हो सकता है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज चलन सदन में चिल्लाकर बोलने का हो गया है। यह समझा जाता है कि इससे लोग उन्हें अच्छा समझेंगे। सदन में बात रखते समय जोश दिखना चाहिए पर वह होश से नियंत्रित हो। उन्होंने मंच से ही मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव से अनुरोध किया कि ई-विधान परियोजना को मंजूरी दी जाए और विधायक विश्रामगृह पुराना हो चुका है। विधायकों की आवश्यकता के अनुसार नवनिर्माण आवश्यक है।

प्रदेश की बेहतरी का दायित्व भी हमारा
मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार लोकतंत्र के मंदिर संसद की चौखट पर अपना सिर झुकाकर जो अहसास हमें कराया है उससे बड़ा प्रबोधन आज के लोकतंत्र का नहीं हो सकता है। लोकसभा हो या विधान सभा हम मतदाताओं का मान, सम्मान, भाव एवं विश्वास लेकर आते हैं। अपने क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश की बेहतरी का दायित्व भी हमारा होता है। मप्र के सीएम ने कहा कि एमपी विधानसभा को ई विधानसभा बनाया जाएगा।

विधानसभा का जो डर था, वो कम हुआ है
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि विधानसभा का धीरे-धीरे अवमूल्यन हुआ है। पहले विधानसभा का डर हुआ करता था पर सदन की बैठकें कम होती गईं और प्रश्नों के उत्तर भी नहीं मिलते हैं।अधिकारी मर्जी से उत्तर बनाकर भेज देते हैं। हजारों आश्वासन लंबित हैं। विकास के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए।