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देशभक्ति की कमी: चीन ला रहा नया कानून, सिखाएगा कम्युनिस्ट शासन में भक्ति का भाव

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बीजिंग
चीन में इन दिनों एक नया कानून लाया जा रहा है। इस कानून के तहत यहां के लोगों में देशभक्ति की भावना भरी जा रही है। सत्ताधारी चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ने इसे कामकाजी लोगों के साथ स्कूली बच्चों के लिए भी इसे अनिवार्य बनाया है। इसका मकसद सभी वर्ग के लोगों के विचारों में एकरूपता लाना है, ताकि लोगों की ताकत को एक मजबूत और राष्ट्रवादी देश बनाने में इस्तेमाल किया जा सके। चीन के विभिन्न स्कूलों में बच्चों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा बच्चों को उन जगहों का दौरा भी कराया जा रहा है, जो विदेशी आक्रमण के समय चीनी लोगों के प्रतिरोध का प्रतीक हैं।

पश्चिमी देशों से तनाव के बीच
वैसे भी चीन में देश और कम्यूनिस्ट पार्टी के प्यार कोई नई बात नहीं है। देशभक्ति और प्रोपगैंडा 75 साल पहले इस देश के बनने के वक्त से ही इसकी जड़ों में है। सीएनएन के मुताबिक चीन के सरकारी अखबारों ने यहां पर लाए जा रहे नए कानून के बारे में जानकारी दी है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इरादा अपने देश को दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बनाने का है। पश्चिमी देशों से तनाव के बीच वह इसके लिए तमाम संभव उपाय कर रहे हैं और इसी के तहत ‘वोल्फ वॉरियर’ डिप्लोमैसी का भी सहारा लिया जा रहा है। बीते कुछ अरसे से चीन के अमेरिका के साथ संबंध भी सामान्य नहीं रहे हैं।

सोशल मीडिया पर नकेल
सोशल मीडिया पर भी इस अल्ट्रा-नेशनलिज्म का झंडा बुलंद है। यहां कंटेंट क्रिएटर हों या फिर कॉमेडियन चाहे कोई विदेशी ब्रांड, अगर किसी ने चीन को नीचा दिखाने की हिमाकत की तो उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा। सिर्फ इतना ही नहीं, उसका बहिष्कार होना भी तय है। नए नियमों का मकसद शी जिनपिंग की कोशिशों को लोगों की पब्लिक और प्राइवेट लाइफ के अंदर तक ले जाना है। गौरतलब है कि चीन को बीते कुछ समय में लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा है। कोविड-19 को लेकर एक युवाओं का एक बड़ा समूह सड़कों पर उतर आया था। यह लोग शी जिनपिंग की सरकार और इसके नियमों का विरोध कर रहे थे। इसके अलावा अर्थव्यवस्था में आई गिरावट और बेरोजगारी के चरम पर पहुंचने के बाद विरोध प्रदर्शन का दौर चला था।

बढ़ेंगी चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में चीन के सामने चुनौतियां बढ़ेंगी। इसीलिए वह कानूनों के जरिए लोगों को नियंत्रण में रखना चाहता है। सोशल मीडिया पर लोगों के ऊपर अच्छी-खासी नकेल है, लेकिन आने वाले वक्त में चीन के लिए सबकुछ इतना आसान नहीं होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में चाइनीज पॉलिटिक्स के प्रोफेसर जोनाथन सुलिवान ने सीएनएन से कहा कि अगर लंबे समय तक आर्थिक मंदी बनी रहती है तो चुनौतियां बढ़ सकती हैं। चीन में यह यह सुनिश्चित करने के लिए काम हो रहा है कि राजनीतिक ढंग से सही सोचने का तरीका पूरी तरह से बंद हो जाए। पार्टी के लिए लोगों को अपनी तरफ करने का बस एक ही रास्ता है कि अगर आप चीन से प्यार करते हैं, तो आपको पार्टी से प्यार करना चाहिए।