ईटानगर
अरुणाचल प्रदेश की अदरक, हस्तनिर्मित कालीन और वांचो लकड़ी के शिल्प ने भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल कर लिया है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने यह घोषणा की । अरुणाचल प्रदेश में अदरक को स्थानीय तौर पर आदि केकिर के नाम से जाना जाता है।
भौगोलिक संकेत या जीआई उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक संकेत है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है। इस विशिष्ट भौगोलिक उत्पति के कारण उनमें विशेष गुण और उनका विशेष महत्व होता है।
मुख्यमंत्री ने यहां कहा, ''यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि आदि केकिर (अदरक), हस्तनिर्मित कालीन और वांचो लकड़ी के शिल्प को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिए गए हैं। वास्तव में यह हमारे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कुशल शिल्प कौशल को मान्यता है। आइए अपनी अनूठी परंपराओं का जश्न मनाएं और उन्हें बढ़ावा दें।''
आदि केकिर अदरक की एक किस्म है जिसकी पैदावार अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग, सियांग और अपर सियांग जिलों में होती है। यह अपने स्वाद और आकार के लिए जानी जाती है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित कालीन अपने विशिष्ट डिजाइन, रूपांकनों और बनावट के लिए जाने जाते हैं।
वांचो लकड़ी से बनी शिल्प वस्तुएं अद्वितीय होती हैं। इनसे तंबाकू के सेवन के लिए विभिन्न आकृतियों वाली पाइप, पीने के मग बनाए जाते हैं।
कारीगर भगवान बुद्ध की मूर्तियां और पशुओं की आकृतियां तथा गुड़िया भी बनाते हैं।
अब तक अरुणाचल प्रदेश के छह उत्पादों को जीआई प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
इससे पहले याक चुरपी (अरुणाचली याक के दूध से तैयार पनीर), खामती चावल (नामसाई जिले में उत्पादित चिपचिपे चावल की एक किस्म) और चांगलांग जिले के तांगसा वस्त्र को जीआई टैग मिला था।