नई दिल्ली
लोकसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियां अपना प्लान तैयार करने में जुटी हुई हैं। इंडिया गठबंधन के लिए फिलहाल सत्ता में बैठी बीजेपी को टक्कर देना आसान नहीं, लेकिन कहीं न कहीं बीजेपी भी चाहेगी कि वो जीत हासिल करने के लिए कहीं कोई गलती न कर बैठे। चुनाव से पहले बीजेपी ने 'तीसरी बार मोदी सरकार, अबकी बार 400 पार' नारा भी दिया है। हालांकि, इसे हासिल करने के लिए उन्हें मैदान में कई भरोसेमंद पुराने दिग्गजों को भी उतारना होगा जो राज्यसभा से जुड़े हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, फतह करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत राज्यसभा से जुड़े सभी बड़े दिग्गज लोकसभा चुनाव मैदान में नजर आएंगे।
नड्डा पहली बार चुनाव लड़ सकते हैं
पार्टी सूत्रों के अनुसार, नड्डा के अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश से ही चुनाव लड़ने की चर्चा है। रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी ने राज्यसभा में एक नेता को दो से ज्यादा कार्यकाल न देने की अपनी नीति पर चलते हुए नड्डा को इस बार लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। तीन बार विधायक और राज्यसभा में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे नड्डा का यह पहला लोकसभा चुनाव होगा। वह 1993 में वह पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायक बने।
1998 में उनको फिर जीत मिली और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। फिर 2012 में राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने गए। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री भी रहे। इसके बाद जनवरी 2020 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। नड्डा का जन्म पटना में 1960 में हुआ था। पटना विश्वविद्यालय से बीए के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से उन्होंने एलएलबी की है। दरअसल, इस बार पार्टी ने राज्यसभा में एक नेता को दो से अधिक कार्यकाल नहीं देने की नीति बनाई है। इसी नीति के तहत केंद्र सरकार में मंत्री रहते मुख्तार अब्बास नकवी को भी राज्यसभा का टिकट नहीं दिया गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर नड्डा लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे तो इससे इस नीति के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा।
राज्यसभा सांसदों को मैदान में उतारने की तैयारी में BJP
पार्टी सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा के दिग्गजों के मैदान में उतरने से लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बन जाएगा। वह इसलिए कि वर्तमान मोदी सरकार में कई वरिष्ठ मंत्री राज्यसभा के सदस्य हैं। इन मंत्रियों के साथ कई वरिष्ठ नेताओं को पहले ही लोकसभा की अपनी पसंदीदा सीट बताने के लिए तीन विकल्प दिए गए थे। ज्यादातर मंत्रियों और सांसदों ने इससे पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया है। कई मंत्रियों ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इनमें कई नामी मंत्री भी हैं। हालांकि नेतृत्व चाहता है कि नामी मंत्री अपने मूल राज्य से ही चुनाव लड़ें। खासतौर वहां जहां पकड़ थोड़ी कमजोर है।