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कौन हैं 30 साल की डॉक्टर महरंग बलोच, जिनसे घबराया पाक, आंदोलन से बांग्लादेश वाला डर

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इस्लामाबाद

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बीते करीब एक सप्ताह से बलूचों का आंदोलन चल रहा है। बलूचिस्तान में युवाओं की सुरक्षा बलों द्वारा गैरकानूनी हत्याओं और फर्जी एनकाउंटर को लेकर यह आंदोलन जारी है। इसके तहत हजारों महिलाओं और बच्चों समेत बलूच नागरिक इस्लामाबाद को घेर कर बैठे हुए हैं। सर्द रातों में भी महिलाएं इस आंदोलन का नेतृत्व करते हुए डटी हुई हैं। यही नहीं इस आंदोलन से पाकिस्तान की सरकार भी परेशान है और कार्यवाहक पीएम अनवारुल हक काकर ने तो इन लोगों को भारत के इशारे पर काम करने वाले बता दिया।

हाल है कि काकर ने आंदोलनल को देश बांटने की साजिश करार देते हुए बांग्लादेश के गठन का भी जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को याद रखना चाहिए ये न तो 1971 है और न यह तब का पाकिस्तान है। इस बीच आंदोलन की नेता डॉ. महरंग बलोच ने संयुक्त राष्ट्र के दफ्तरों के बाहर धरने का ऐलान किया है। इस मामले में मंगलवार को इस्लामाबाद बंद भी बुलाया गया था। यही नहीं उन्होंने कहा कि हमारे धरना स्थल के पास बड़ी संख्या में पुलिस है। हमने सुरक्षा के लिए इनकी मांग नहीं की थी, लेकिन डराने के लिए बड़ी संख्या में फोर्स तैनात की गई है।

आइए जानते हैं, कौन हैं महरंग बलोच…

महरंग बलोच की उम्र भले ही महज 30 साल है, लेकिन बलूचों के बीच उनकी भारी फैन फॉलोइंग है। इसकी वजह यह है कि वह अकसर पाकिस्तानी सेना की बलूचों के साथ ज्यादती के मुद्दे उठाती हैं। 1993 में एक बलूच परिवार में जन्मीं महरंग एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुकी हैं। उनके पिता अब्दुल गफ्फार एक मजदूर थे और परिवार क्वेटा में रहता था। लेकिन मं के इलाज के चलते फैमिली कराची में आकर बस गई थी। बलूचिस्तान में सेना के उत्पीड़न का शिकार उनके पिता भी हो चुके हैं। उन्हें 12 दिसंबर, 2009 को अगवा कर लिया गया था। उस दौरान वह अस्पताल जा रहे थे।

16 साल की थीं महरंग, जब उनके पिता को अगवा किया गया और फिर कत्ल

पिता को अगवा किए जाने के दौरान महरंग की उम्र महज 16 साल थी, लेकिन वह आंदोलन करने लगीं। पिता के दर्द में सड़क पर उतरीं महरंग अब बलूचिस्तान में विरोध का चेहरा हैं। इसके लिए आम युवाओं के लिए वह एक उम्मीद बन गई हैं। उनके पिता अगवा किए जाने के 2 साल बाद जुलाई 2011 में मृत पाए गए थे। शव की जांच से पता चला था कि उनका उत्पीड़न भी हुआ था। यही नहीं दिसंबर 2017 में उनके भाई को भी अगवा कर लिया गया था और फिर तीन महीने तक हिरासत में रखा गया।

अब 1600 किलोमीटर का मार्च लेकर इस्लामाबाद पहुंचीं, डर गए काकर

बलूचिस्तान के ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए आरक्षण कम किए जाने पर भी महरंग बलोच ने आंदोलन किया था। फिलहाल वह अपने राज्य में शोषितों के लिए उम्मीदों से भरा एक चेहरा हैं। उनके ही नेतृत्व में बलूचिस्तान से 1600 किलोमीटर की यात्रा करके मार्च इस्लामाबाद तक आया है। महिलाओं के लिए कट्टरवादी एक समाज में उनका आगे आना बड़ी उम्मीद की तरह है। यही वजह है कि उनसे प्रेरणा लेकर हजारों बलूच महिलाएं भी सड़कों पर उतरी हैं। यही नही सैकड़ों ट्रकों में तमाम सामान भी ये लोग लेकर पहुंचे हैं।