पटना.
पिछले महीने जब-जब जनता दल यूनाईटेड के तत्कालीन अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के इस्तीफे और नीतीश कुमार के पार्टी अध्यक्ष बनने की बात मीडिया ने की, सत्तारूढ़ नेताओं ने हर बार कहा- "यह सब 'अंड-बंड' भाजपा वाला लोग जानबूझ कर प्रचारित करता है।" लेकिन, 29 दिसंबर को अंतत: यह 'अंड-बंड' नहीं, बल्कि पक्की खबर साबित हो गया। इसी के साथ साबित हो गया कि धुआं है तो आग जरूर होगी।
यह भी साबित हो गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन की बात उनकी पार्टी जदयू और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव से ज्यादा भाजपा वाले जानते हैं। ललन सिंह के हटने के बाद भी राजनीतिक महकमे में कई ऐसी बाते हैं। एक-एक कर सभी बातों पर आएंगे, शुरुआत पहले साबित तथ्य से करते हैं।
नीतीश के प्रिय रहे सुशील इस शब्द के पीछे
'अंड-बंड' मतलब बकवास होता है। जो हिंदी के देसज रूप से परिचित नहीं, उनके लिए यह शब्द अटपटा भी है। लेकिन, बिहार की राजनीति में यह शब्द खूब चर्चित है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विरोधियों की बातों को फर्जी बताने के लिए इस तुकात्मक शब्द युग्म का जब-तब इस्तेमाल करते रहते हैं। वह करीब सालभर से भाजपा नेताओं के किसी बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहते सुने जाते हैं कि वह तो ऐसे ही अंड-बंड बोलता है। पहले सिर्फ पुराने साथी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बारे में इसका इस्तेमाल करते थे। लेकिन, अब राज्य में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड और राष्ट्रीय जनता दल के कई दिग्गज यह शब्द बोलते हैं।