मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज भेंट मुलाकात कार्यक्रम में रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक के ग्राम नवापारा पहुँचे । मुख्यमंत्री ने यहां पहुँचते ही लोगों की आस्था व विश्वास के केंद्र मुनीचुआँ आश्रम में पूजा अर्चना की । मान्यता है कि नवापारा में लगभग 100 साल पहले वृद्ध महिला ‘बूढ़ी माता’ हाथ में जलता हुआ कण्डा लेकर रोज सड़क किनारे स्थित एक गड्ढे के पास जाती थी। भरी गर्मी में जहाँ आसपास के कुओं और जलाशयों का पानी सूख जाता था, उस गड्ढे में वर्ष भर जल भरा रहता था। ‘बूढ़ी माता’ वहाँ कण्डे की आग से काली माँ की पूजा अर्चना करके ‘चेचक’ जैसे महामारी का इलाज उस गड्ढे के दिव्य जल से करती थी। उस गड्ढे का नाम ही कालांतर में ‘मुनीचुआँ पड़ा। बूढ़ीमाता लोगों को बताती थी कि ‘मुनीचुआँ में अनेक सिद्ध ऋषि मुनी अदृश्य रूप से निवास करते हैं।
बूढ़ीमाता के अनुसार मुनीचुआं में निवासरत ऋषि-मुनी कभी-कभी प्रकट होकर अपने प्रताप से अनेक मिष्ठान्न, व्यंजन एवं गरमा गरम भोजन व्यवस्था करके लोगों को खिलाते थे, फिर अदृश्य हो जाते थे। यह कहानी आसपास के लोगों के मुँह से आज भी सुनी जा सकती है। मुनीचुआँ परिसर में धार्मिक आयोजनों का सिलसिला वर्ष भर चलता रहता है। मुनीचुआँ के प्रति लोगों की धार्मिक आस्था और विश्वास आज भी कायम है।
यहाँ पर स्थित ‘गरुड़ वृक्ष’ का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस धार्मिक वृक्ष की सात बार परिक्रमा करके 7 पत्थर इस पर चढ़ाने से लोगों की मनौती पूरी होती है। गरुड़ वृक्ष के पास लगे हुए पत्थरों के ढेर लोगों की आस्था और विश्वास की कहानी बयान कर रहे हैं। कहा जाता है कि गरुड़ वृक्ष की छाल और पत्तों से कई असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।