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बिहार शिक्षा विभाग ने पिछले महीने भर्ती हुए लगभग एक लाख शिक्षकों के पुन: सत्यापन का आदेश दिया

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पटना
बिहार शिक्षा विभाग ने पिछले महीने भर्ती हुए लगभग एक लाख शिक्षकों के पुन: सत्यापन का आदेश दिया है। विभाग को शिकायत मिली थी कि प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले और नियुक्ति लेने वाले उम्मीदवार अलग-अलग थे, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।

केके पाठक ने जिलाधिकारियों को लिखा पत्र
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पाठक ने 28 दिसंबर को सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को लिखे पत्र में 15 जनवरी से पुन: सत्यापन अभियान चलाने का आदेश दिया है। इस पत्र में विसंगतियों के लिए नवंबर में ‘काउंसिलिंग' के समय प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के अंगूठे के निशान शिक्षा विभाग के साथ साझा करने में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के ‘‘विफल'' रहने को जिम्मेदार ठहराया गया है। ‘‘इस फर्जीवाड़े की शिकायतों के बाद, विभाग ने हाल ही में चयनित हुए चार हजार शिक्षकों को औचक रूप से पुन: सत्यापन के लिए बुलाया था। इस दौरान यह पता लगाया गया कि प्रवेश परीक्षा में उपस्थित होने वाले अभ्यर्थी और नियुक्ति पाने वाले व्यक्ति समान हैं या नहीं। इस प्रक्रिया में विभाग ने तीन धोखेबाजों की पहचान की। इसके अलावा, तीन ऐसे शिक्षक पहचाने गए जो नियुक्ति लेने के बाद फरार हो गए। विभाग ने ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।'' सरकार ने इस साल दो नवंबर को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई-एक) उत्तीर्ण करने वाले 1,20,336 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए थे।

आयोग ने हाल ही में राज्य में विभिन्न विषयों के शिक्षकों के कुल 86,557 पदों को भरने के लिए टीआरई-दो के परिणाम भी घोषित किए हैं। शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पत्र में कहा गया, ‘‘सभी डीएम को सलाह दी जाती है कि वे नवनियुक्त शिक्षकों (टीआरई-एक के) को पुन: सत्यापन के लिए अलग-अलग समूह में बांटकर बुलाएं और प्रवेश परीक्षा के समय आयोग द्वारा लिए गए अंगूठे के निशान के साथ उनके अंगूठे के निशान का मिलान करें। जिस स्कूल में शिक्षक कार्यरत हैं, उसके प्रधान अध्यापक भी उनके साथ आएंगे। यदि अंगूठे के निशान के मिलान के दौरान विसंगतियां पाई जाती हैं, तो उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।'' पत्र में कहा गया, ‘‘पुनः सत्यापन अभियान के दौरान सभी चयनित अभ्यर्थियों के आधार कार्ड के पुराने रिकॉर्ड की भी जांच की जाएगी। अक्सर देखा गया है कि धोखेबाज पकड़े जाने से बचने के लिए आधार कार्ड में बदलाव करवा लेते हैं।''