नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के तहरीक-ए-हुर्रियत संगठन को बैन कर दिया है. गृह मंत्रालय ने UAPA के तहत कार्रवाई की है. इस संगठन के ऊपर राज्य में आतंकवाद, अलगाववाद और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है. तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर का एक राजनीतिक दल था, जिसकी स्थापना अलगावादी लीडर सैयद अली शाह गिलानी ने की थी.
उन्होंने आगे लिखा, ''आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत विफल कर दिया जाएगा।''
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में संचालित राजनीतिक दल मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर- मसरत आलम गुट (MLJK-MA) को केंद्र सरकार ने UAPA के तहत अवैध घोषित कर दिया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद इसकी जानकारी दी थी। आरोप है कि इस पार्टी के सदस्य जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल थे और वैसे आतंकी समूहों का समर्थन कर रहे थे, जो देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरा पहुंचा रहे थे।
अमित शाह ने तब लिखा था, 'मुस्लिम लीग ऑफ जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)'/एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक 'अवैध संघ' घोषित किया गया है। यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश जोरदार और स्पष्ट है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के पूर्ण प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।"
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आलम के खिलाफ 27 FIR दर्ज हैं। उनके खिलाफ 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है। मार्च 2015 में, मसरत आलम को रिहा कर दिया गया था, जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के खिलाफ विरोध शुरू हो गया, जो उस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल थी।
तहरीक-ए-हुर्रियत संगठन पर UAPA के तहत कार्रवाई
गृह मंत्री अमित शाह ने आज यानी 31 दिसंबर को ऐलान किया कि कश्मीरी अलगाववादी पार्टी तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी गतिविधियां UAPA के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है. यह संगठन जम्मू-कश्मीर को इंडिया से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है.
साल 2021 में तहरीक ए हुर्रियत के अध्यक्ष का हो गया था निधन
जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2004 में तहरीक ए हुर्रियत का गठन किया था। गिलानी के बाद तहरीक ए हुर्रियत के अध्यक्ष मुहम्मद अशरफ सेहराई थे, जिनका भी साल 2021 में निधन हो गया। यह संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का सहयोगी संगठन है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर के 26 संगठनों का समूह है, जिसका गठन 1993 में किया गया था। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में कई ऐसे संगठन शामिल हैं, जो पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी माने जाते हैं। इनमें जमात ए इस्लामी, जेकेएलएफ और दुखतरान ए मिल्लत आदि का नाम शामिल है। साल 2005 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस दो धड़ों में बंट गया। इसके नरमपंथी गुट का नेतृत्व मीरवाइज उमर फारुख को मिला। वहीं चरमपंथी गुट का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी ने किया।