Home मनोरंजन दिव्या अग्रवाल को पसंद है बनारस की बोली

दिव्या अग्रवाल को पसंद है बनारस की बोली

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मुंबई

साल 2016 की मिस इंडिया रहीं दिव्या अग्रवाल की हालिया हालिया वेब सीरीज टटलूबाज एपिक ऑन पर स्ट्रीम हुई। इसमें नरगिस फाखरी, जीशान कादरी, दिव्या अग्रवाल आदि कलाकार दिखाई दिए। हर बार एक ऐसे प्रोजेक्ट का इंतजार होता है, जिसमें अच्छा काम हो। हम फुल-ब्लोन एक्टिंग करेंगे। एकदम जोरदार होगा। टटलूबाज मेरा चौथा वेब शो है। इसके लिए बहुत खुश थी, क्योंकि इसमें स्टार कास्ट के साथ बॉन्डिंग बहुत बढ़िया बन पड़ी थी।

यह प्रोजेक्ट मेरे पास आया था। मजे की बात यह है कि मैंने पहले इजाबेल त्रिपाठी रोल के लिए ऑडिशन दिया था, जिसे बाद में नरगिस फाखरी ने निभाया। चैनल वालों को वह भी काफी पसंद आया। लेकिन उन्होंने कहा कि क्या आप दिशा के रोल के लिए भी ट्राई करेंगी। फिर मैंने दिशा के लिए ऑडिशन दिया। काफी समय तक वह कंफ्यूज थे कि हमें दिव्या अग्रवाल को इजाबेल बनाना चाहिए या दिशा का रोल करवाना चाहिए। आई थिंक, नरगिस फाखरी आईं, तब सुनिश्चित हुआ कि वे इजाबेल का कैरेक्टर अच्छी तरह से निभा पाएंगी और मैं दिशा का। बनारस में जिस तरह की बोली बोलते हैं, बात करना का जो लहजा है, वह सीखने और उसे रूटीन बनाने में काफी टाइम लगा। पहले तो राइटर की स्क्रिप्ट पढ़कर काफी कुछ सीखा। उसके बाद बनारस गए तो वहां के लोगों से काफी बातचीत करके जाना-समझा। शो शुरू होने से पहले काफी रिहर्सल भी किया। यह काफी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन जब सीख लिया, तब इतना मजा आ रहा था कि शूटिंग के काफी समय बाद तक लोगों से उसी लहजे में बात कर रही थी। वह लहजा इतना पसंद आ गया था। बनारस की गलियों में शूटिंग किया, तब वहां बहुत भीड़ होती थी, इसलिए फटाफट शूट करना पड़ा। लेकिन डबिंग में देखा तो पाया कि बहुत अच्छे से सीन निकल कर आए हैं।

ऐसे में खुशी हुई कि इतनी बड़ी चुनौती को पार कर पाए। इस शो की सबसे खूबसूरत बात यह है कि नरगिस फाखरी फिल्म एक्टर हैं, धीरज धूपर टीवी के बादशाह और मैं हमेशा से ओटीटी में रही हूं। मैंने न फिल्म की है और न ही टीवी सीरियल किया है। इसके बावजूद हम तीनों का कांबिनेशन बहुत अच्छा रहा। नरगिस जी, धीरज जी और यहां तक कि डायरेक्टर विभू की यह पहली वेब सीरीज है। इसके चलते मैं सेट पर थोड़ा स्टाइल मार लेती थी कि मैं एक्सपर्ट हूं, सीनियर हूं, सो मुझसे सीखो। हालांकि उम्र में मैं सबसे छोटी हूं। हम तीनों ओटीटी, टेलीविजन और फिल्मों की दुनिया पर काफी बातें की। उससे काफी कुछ सीखने को मिला। फिल्मों से आईं नरगिस से फिल्मी अदाएं और धीरज जी से चार-छह पेज का डायलॉग फटाफट बोलना सीखा। कुल मिलाकर मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहा।