Home मध्यप्रदेश दावे-सिफारिशों की बाढ़, ‘सेकेंड थॉट’ के लिए ठिठका मंत्रिमंडल विस्तार…

दावे-सिफारिशों की बाढ़, ‘सेकेंड थॉट’ के लिए ठिठका मंत्रिमंडल विस्तार…

7

 

 भोपाल

दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ मप्र के मंत्रिमंडल विस्तार पर इतने दावे और सिफारिशों का दौर चला है कि आला कमान सेकेंड थॉट के लिए ठिठक गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और अन्य सीनियर्स से मंथन के बाद मंत्रिमंडल की सूची फाइनल कर ली गई थी।

जिसमें केवल सूचना और शपथ ही शेष थी। लेकिन जैसे ही सीनियर लीडर्स को इस सूची की भनक लगी उनके राजनीतिक आकाओं ने भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व और संघ परिवार के दरवाजे खटखटाए, जिसके चलते एक बार फिर से मप्र के मंत्रिमंडल में शामिल नामों पर चर्चा दिल्ली में हो रही है। इधर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भोपाल में आज होने वाली सभी बैठकें निरस्त कर दी गई हैं। कार्यक्रम के मुताबिक आज उन्हें भोपाल और नर्मदापुरम की समीक्षा बैठक करनी थी। मुख्यमंत्री की आज दिल्ली में पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष से मुलाकात हुई।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल को लेकर कई दौर की चर्चा भोपाल से लेकर दिल्ली तक हो चुकी थी। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश भी शामिल रहे। जानकारी के मुताबिक शिवप्रकाश ने समन्वय में अहम भूमिका निभाते हुए, मध्य प्रदेश के संभावित मंत्रियों की सूची लगभग फाइनल कर ली थी। इसके बाद जब प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने अपने समर्थकों के लिए लॉबिंग तेज कर दी। उसी का नतीजा है कि एक बार फिर से मंत्रिमंडल के संभावित सदस्यों को लेकर दिल्ली में विचार विमर्श शुरू हो गया है। इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा शनिवार रात को भोपाल आ गए हैं, हालांकि इससे पहले वे संगठन की ओर से यह फीडबैक भी देकर आए हैं।

वरिष्ठों और नए में से किसे चुने, उलझन बरकरार
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व यह चाहता है कि कुछ नए चेहरे और यहां तक की पहली बार के चुने गए विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल हों, ताकि प्रदेश में नई लीडरशिप तैयार हो सके। इसी क्रम में प्रदेश के मुखिया डा. मोहन यादव को चुना गया, ताकि आने वाले एक दशक की लीडरशिप तैयार हो सके। अब उलझन यह  है कि वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करते है तो उन्हें क्या काम दिया जाए। वहीं पहली बार मंत्री बनने का दावेदार माने जा रहे विधायकों की भी संख्या ज्यादा मानी जा रही है।

भोपाल, सागर, इंदौर और जबलपुर में सबसे ज्यादा पेंच, किसे बनाएं किसे छोड़ें…
प्रदेश में प्रचंड बहुमत के बाद अब  मोहन यादव मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा उलझन बड़े शहरों से अपनी दावेदारी पेशन करने वाले नेताओं ने बढ़ा दी है। सागर जिले से पिछली सरकार में जहां तीन मंत्री रहे थे, वहीं भोपाल-जबलपुर में लगातार तीन चुनाव जीत कर विधायकों ने तगड़ी दावेदारी पेश की है। इधर, विस चुनाव में इंदौर के 9-0 से क्लीनस्वीप का दबाव भी आलाकमान पर बढ़ गया है।

सागर- पिछली सरकार में थे तीन मंत्री
बुंदेलखंड के इस जिले से पिछली सरकार में तीन मंत्री थे। विधानसभा के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव के अलावा भूपेंद्र सिंह और गोविंद राजपूत भी पिछली सरकार में मंत्री थे। इस बाद भी ये तीनों पूर्व मंत्री फिर से मंत्री बनने के प्रवल दावेदार हैं। वहीं सागर विधानसभा से चौथी बार जीते शैलेंद्र जैन और नरयावली से चौथी बार जीते प्रदीप लारिया भी दावेदार माने जा रहे हैं।

भोपाल- इस बार दावेदारों की भरमार
भोपाल से पिछली सरकार में विश्वास सारंग मंत्री थे। अब वे भी मंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं। वहीं रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री तीन-तीन बार चुनाव जीतने के बाद अब मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। वहीं कृष्णा गौर दूसरी बार की विधायक हैं, वे भी इस दावेदार मानी जा रही है।

इंदौर- 9-0 से क्लीनस्वीप के बाद बढ़ा दबदबा
इंदौर जिले से सर्वाधिक विधायक मंत्री बनने के दावेदार माने जा रहे हैं। जिले की नौ सीटों में से 6 विधायक मंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय के अलावा उषा ठाकुर, रमेश मंदौला, तुलसी सिलावट, मालिनी गौड़ और महेंद्र हार्डिया के नाम इनमें शामिल हैं।

जबलपुर- तीन नेताओं की मजबूत दावेदारी
जबलपुर जिले से तीन विधायक दावेदार हैं। जिसमें प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मंत्री एवं पाटन से विधायक अजय विश्नोई और जबलपुर केंट से विधायक अशोक रोहाणी दावेदार हैं। रोहाणी तीसरी बार इस सीट से जीते हैं।