नई दिल्ली
दिल्ली में स्थित देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University )अक्सर चर्चा में रहता है। कभी यहां छात्रों द्वारा देश विरोधी नारे लगाए जाने के आऱोप लगते हैं तो कभी यहां किसी प्रतिबंधित फिल्म की स्क्रिनिंग भी चर्चा में रहती है। अब JNU एक बार फिर चर्चा में है और इस बार यहां छात्रों ने मशाल जुलूस निकाला है। दरअसल JNU प्रबंधन ने कुछ नए नियम बनाए हैं जिसके खिलाफ छात्रों ने शनिवार को मशाल जुलूस निकाला है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संगठन से जुड़े कुछ छात्र संगठनों मसलन – AISA, SFI और NSUI तथा हॉस्टल के अध्यक्ष ने मशाल जुलूस निकाला।
प्रदर्शन कर रहे छात्र चीफ प्रॉक्टर कार्यालय के मैनुअल का विऱोध कर रहे थे और इसे तानाशाही कह रहे थे। नए नियमों के मुताबिक, अब जेएनयू के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रदर्शन करने पर छात्रों पर 20,0000 रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा सकता है और देश-विरोधी नारे लगाने पर 10,000 रुपये तक नारा लगाया जा सकता है। इन नए नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्र सीपीओ मैनुअल वापस लो और फाइन राज बंद करो के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारी छात्र विश्वविद्यालय के गंगा ढाबा के पास जुटे थे और चंद्रभाग हॉस्टल तक उन्होंने मार्च किया।
JNUSU ने कहा कि सीपीओ मैनुअल के खिलाफ उनका प्रदर्शन जारी रहेगा और वो अगर इसे वापस नहीं लिया जाता है कि भूख हड़ताल भी करेंगे। छात्र संगठन ने कहा कि यह जेएनयू की परंपरा हो गई है कि छात्र संगठन तानाशाही नियमों के खिलाफ लड़ते है और छात्र संगठन अपना आवाज उठाते रहे हैं। जेएनयू स्टुडेन्ट्स यूनियन के अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा, 'हम सीपीओ मैनुअल के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे औऱ अगर जरूरत पड़ी तो हम भूख हड़ताल पर भी बैठेंगे। ताकि विश्वविद्यालय में लोकतंत्र की रक्षा हो सके।
छात्र संगठनों का कहना है कि वो जल्द ही नए नियमों के खिलाफ अपनी योजना का ऐलान करेंगे। वो विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सहयोग नहीं करेंगे। हालांकि, आयशी घोष ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा है कि वो छात्र संगठन ने इस मुद्दे को हल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से बातचीत का दरवाज खुला रखा है। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो हम लंबे समय तक प्रदर्शन करेंगे।