नई दिल्ली
खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ की नव-निर्वाचित संस्था को रविवार को सस्पेंड कर दिया। सरकार की ओर कहा गया कि WFI की न्यू-इलेक्टेड बॉडी पर पूर्व पदाधिकारियों का ही पूर्ण नियंत्रण मालूम होता है और यह खेल संहिता की पूरी तरह से अवहेलना है। ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने इस फैसले का स्वागत किया है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश कुश्ती संस्था के पूर्व प्रमुख संजय सिंह बीते गुरुवार को डब्ल्यूएफआई के नए अध्यक्ष चुने गए थे। वह डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी माने जाते हैं।
इस साल की शुरुआत में बृजभूषण सिंह और WFI के पिछले शासन के खिलाफ महीनों तक विरोध प्रदर्शन चला था। बजरंग पूनिया इसके प्रमुख चेहरों में से एक थे। उन्होंने नए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुने जाने पर निराशा जताई थी। इतना ही नहीं, बजरंग ने विरोध के तौर पर अपना पद्म श्री नई दिल्ली में कर्तव्य पथ के फुटपाथ पर रख दिया। अब सवाल है कि क्या नए कुश्ती संघ के निलंबन के बाद पूनिया अपना पद्म श्री वापस लेंगे? आज तक से बात करते हुए पहलवान ने कहा कि वह अपना पद्म श्री पुरस्कार वापस लेने के लिए तभी तैयार होंगे, जब सरकार बृजभूषण और उनके करीबी सहयोगियों को कुश्ती संस्था से दूर रखे।
बजरंग पूनिया बोले- क्या बृजभूषण सरकार से भी बड़े?
बजरंग पूनिया ने कहा, 'यह बहुत सही निर्णय लिया गया है। हमारी बहन-बेटियों के साथ जो अत्याचार हो रहा है उसे देखते हुए ऐसे लोगों को फेडरेशन से हटाया जाना चाहिए। हमारे ऊपर राजनीति, जात-पात और क्षेत्रवाद के आरोप लगाए गए मगर हमने तो देश के लिए मेडल जीता है। हम खिलाड़ी कभी भी किसी की जाति नहीं देखते। हम लोग एक अखाड़े में रहते हैं और एक ही थाली में बैठकर रोटी खाते हैं।' उन्होंने कहा कि आपने भी देखा कि संजय सिंह के जीतने पर कहा गया कि दबदबा है और दबदबा रहेगा। क्या बृजभूषण सरकार से भी बड़े हो गए हैं? पूनिया ने कहा कि बॉडी तो खिलाड़ियों की मदद के लिए बनाई जाती है न कि उन्हें दबाने के लिए।