जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया जिसमें 5 सैनिक शहीद हो गए और 2 अन्य घायल हैं। इसके बाद सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को इलाके के जंगलों में व्यापक घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। अधिकारी ने कहा कि इलाके की हवाई निगरानी भी की जा रही है और आतंकवादियों का पता लगाने के लिए श्वान दस्ते को भी लगाया गया है। इस बीच, रक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान राजौरी-पुंछ सेक्टर में आतंकवाद को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहा है। यहां के जंगली इलाकों में करीब 25-30 पाकिस्तानी आतंकवादियों के छिपे होने का संदेह है।
सूत्रों ने कहा कि राजौरी हमला लद्दाख सेक्टर से भारतीय सैनिकों को हटाने को लेकर पाकिस्तान और चीन के प्लान का हिस्सा है। पूरी प्लानिंग यह है कि इस क्षेत्र से सुरक्षा बलों को हटाकर घाटी में फिर से अधिकतर तैनाती के लिए दबाव बनाया जाए। पाकिस्तान-चीन गठजोड़ भारत की ओर से सेना को जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालने और चीनी सीमा पर तैनात करने से रोकने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि खासकर लद्दाख सेक्टर में टुकड़ियों की तैनाती न हो, जहां पीएलए और भारतीय सेनाएं आमने-सामने हैं। यहां बीते तीन साल से गतिरोध बना हुआ है।
राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिफॉर्म फोर्स को लद्दाख भेजा
दरअसल, भारत ने 2020 में राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिफॉर्म फोर्स को पुंछ सेक्टर से हटाकर लद्दाख में तैनात कर दिया था। सैन्य संतुलन साधते हुए चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने और पीएलए पर दबाव डालने के मकसद से यह कदम उठाया गया। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जब से यूनिफॉर्म फोर्स लद्दाख ऑपरेशन के लिए रवाना हुई, तभी से पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के खिलाफ हमले के लिए अपने आतंकवादियों को यहां भेजना शुरू कर दिया। वे भारत को इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को फिर से तैनात करने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। सूत्रों ने बताया कि करीब 25-30 पाकिस्तानी आतंकवादी पुंछ-राजौरी सेक्टर के जंगली इलाकों में छिपे हुए हैं।
कुछ दिनों पहले 5 सैन्यकर्मी हुए थे शहीद
इस हमले से कुछ ही सप्ताह पहले पास के राजौरी जिले में बाजीमाल वन क्षेत्र के धर्मसाल बेल्ट में गोलीबारी के दौरान 2 कैप्टन सहित 5 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। राजौरी जिले में सुरक्षा बलों के साथ नवंबर में इस मुठभेड़ में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर क्वारी समेत 2 आतंकवादी मारे गए थे। राजौरी और पुंछ जिलों की सीमा पर स्थित ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच का इलाका घने जंगलों वाला है। यह चमरेर जंगल और फिर भाटा धुरियन जंगल की ओर जाता है, जहां इस साल 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में 5 सैनिक शहीद हो गए थे।
यहां इस साल मुठभेड़ में 19 सुरक्षाकर्मी शहीद
इसके बाद मई में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान चमरेर जंगल में सेना के 5 और जवान शहीद हो गए थे और मेजर रैंक का एक अधिकारी घायल हो गया था। इस अभियान में एक विदेशी आतंकवादी भी मारा गया था। राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 28 आतंकवादी मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकवादियों के दो अलग-अलग हमलों में 9 सैनिक शहीद हो गए थे। चमरेर में 11 अक्टूबर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित 5 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 14 अक्टूबर को एक निकटवर्ती जंगल में एक जेसीओ और 3 सैनिकों ने जान गंवाई थी।