नईदिल्ली
भारत की तमाम बैंकों (Banks) में जमा लावारिस रकम यानी अनक्लेम्ड डिपॉजिट (Unclaimed Deposit) बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवार को संसद (Parliament) में सरकार ने इसका डाटा पेश किया है और इसके मुताबिक, मार्च 2023 तक बैंकों के पास लावारिस जमा में 42,270 करोड़ रुपये हो गया है. ये ऐसा पैसा है जो अलग-अलग बैंकों में जमा है, लेकिन इसका कोई भी दावेदार नहीं है. फरवरी 2023 तक अनक्लेम्ड अमाउंट का ये आंकड़ा 35,012 करोड़ रुपये था.
बीते साल के मुकाबले 28% की बढ़ोतरी
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट 32,934 करोड़ रुपये था, लेकिन इसकी तुलना में मार्च 2023 के अंत में यह राशि बढ़कर 42,272 करोड़ रुपये हो गई. इस हिसाब से देखें तो इसमें 28 फीसदी का बढ़ा इजाफा हुआ है. सरकार द्वारा पेश किए गए डाटा के मुताबिक, मार्च के अंत तक 36,185 करोड़ रुपये की लावारिस जमा राशि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास थी, जबकि 6,087 करोड़ रुपये प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के पास थी.
आरबीआई ने उठाए हैं कई कदम
वित्त राज्य मंत्री भागवत के कराड (Bhagwat K Karad) ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि आरबीआई ने लावारिस जमा की मात्रा को कम करने और सही दावेदारों को ऐसी जमा राशि वापस करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश के अनुसार, बैंकों को दस साल या उससे अधिक समय से निष्क्रिय या निष्क्रिय खातों में लावारिस जमा की सूची बैंकों की वेबसाइटों पर प्रदर्शित करने और मृत खाते के मामले में ग्राहकों, या कानूनी उत्तराधिकारियों के ठिकाने का पता लगाने की सलाह दी गई है.
इस लावारिस रकम के सही हकदारों का पता लगाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा अगस्त 2023 में सेंट्रलाइज्ड वेब पोर्टल उद्ग्म (UDGAM) लॉन्च किया गया था, इसका उद्देश्य दरअसल, बैंकों में लंबे समय से जमा अनक्लेम्ड अमाउंट का पता लगाना है, जिसे उसके असली हकदार तक पहुंचाया जा सके.
आखिर क्या होता है Unclaimed Deposite?
अब बताते हैं कि आखिर ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट (Unclaimed Deposite) होता क्या है? दरअसल, अलग-अलग बैंक सालाना आधार पर अकाउंट्स रिव्यू करते हैं. इसमें ये पता भी लगाया जाता है कि ऐसे कौन-कौन से बैंक अकाउंट हैं, जिनमें किसी तरह का कोई लेन-देन (Bank Transaction) नहीं हुआ है. जब किसी डिपॉजिटर्स की ओर से बीते 10 साल के दौरान किसी अकाउंट में न तो कोई फंड डाला जाता है और न ही इसमें से कोई रकम निकाली जाती है तो इस दौरान अकाउंट में पड़ी रकम को अनक्लेम्ड डिपॉजिट माना जाता है. इसके बाद बैंक इन ग्राहकों से संपर्क करने की कोशिश भी करते हैं.
बैंक RBI को देते हैं ऐसे अकाउंट की जानकारी
इस पूरी प्रक्रिया में जिन अकाउंट में जमा राशि का कोई दावेदार नहीं होता, तो बैंकों की ओर से आरबीआई को इसकी जानकारी दी जाती है. इसके बाद ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
इस तरह के डिपॉजिट्स को लेकर RBI अवेयरनेस कैम्पेन चलाता रहता है, जिससे इसके कानूनी हकदारों का पता लगाया जा सके. बता दें इस तरह के अनक्लेम्ड डिपॉजिट बढ़ने के कई कारण भी हैं. इनमें से कुछ का जिक्र करें तो डिपॉजिटर की मौत हो गई है और उसका नॉमिनी दस्तावेजों में दर्ज न होने से उस अकाउंट में जमा रकम का कोई दावेदार नहीं मिलता.