नई दिल्ली
जनरेटिव कृत्रिम मेधा (जेन एआई) में अगले सात साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कुल मिलाकर 1,200-1,500 अरब डॉलर जोड़ने की क्षमता है। ईवाई इंडिया की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
रिपोर्ट का शीर्षक ‘एआइडिया ऑफ इंडियाः भारत के डिजिटल परिवर्तन को गति देने में जनरेटिव एआई की क्षमता’’ है। रिपोर्ट ने जेन एआई को अपनाने में उद्योग की तैयारियों और चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान की।
रिपोर्ट के अनुसार, जनरेटिव एआई वित्त वर्ष 2029-30 तक भारत की जीडीपी में संचयी आधार पर 1,200-1,500 अरब डॉलर जोड़ सकता है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सभी क्षेत्रों में जनरेटिव एआई प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों को पूरी तरह से पूंजीकृत करके भारत संभावित रूप से अकेले वित्त वर्ष 2029-30 में 359-438 अरब डॉलर जोड़ सकता है, जो जीडीपी के ऊपर 5.9 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, Gen AI वित्त वर्ष 2029-30 तक भारत की GDP में संचयी आधार पर 1,200-1,500 अरब डॉलर जोड़ सकता है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सभी क्षेत्रों में Gen AI प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों को पूरी तरह से पूंजीकृत करके भारत संभावित रूप से अकेले वित्त वर्ष 2029-30 में 359-438 अरब डॉलर जोड़ सकता है, जो GDP के ऊपर 5.9 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।’’
कुल प्रभाव का लगभग 69 प्रतिशत व्यावसायिक सेवाओं (आईटी, कानूनी, परामर्श, आउटसोर्सिंग, मशीनरी और उपकरणों के किराये और अन्य सहित), वित्तीय सेवाओं, शिक्षा, खुदरा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों से उत्पन्न होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रत्याशित प्रभाव में कार्यबल उत्पादकता में सुधार, परिचालन दक्षता में वृद्धि और व्यक्तिगत ग्राहक जुड़ाव शामिल है।
कुल प्रभाव का लगभग 69 प्रतिशत व्यावसायिक सेवाओं (आईटी, कानूनी, परामर्श, आउटसोर्सिंग, मशीनरी और उपकरणों के किराये और अन्य सहित), वित्तीय सेवाओं, शिक्षा, खुदरा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों से उत्पन्न होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रत्याशित प्रभाव में कार्यबल उत्पादकता में सुधार, परिचालन दक्षता में वृद्धि और व्यक्तिगत ग्राहक जुड़ाव शामिल है।