बिलासपुर। डी.एल.एस. महाविद्यालय में ‘मशरूम की खेती में आर्थिक और संभावित लाभों में हालिया प्रगति’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर, मुख्य वक्ता (की-नोट स्पीकर) प्रोफे. ए.के. पाण्डेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, विशिष्ट अतिथि डॉ. लतिका भाटिया, कोआर्डिनेटर इन्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन बिलासपुर चैप्टर व वरिष्ठ प्रोफेसर आर वी शुक्ला, सभापति के रूप में श्रीमती निशा बसन्त शर्मा चेयरमैन डी एल एस महाविद्यालय रहीं व अध्यक्षता प्राचार्य डॉ रंजना चतुर्वेदी ने की। आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “मशरूम हमारी अधिकांश पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम है। आज हमारे प्रधानमंत्री विकसित भारत 2024 का जो लक्ष्य रख रहे हैं उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए हमें बड़ी मात्रा में साधनों और संसाधनों की आवश्यकता है। मशरूम इस दृष्टि से भी बड़ा ही उपादेय सिद्ध होगा साथ ही मशरूम का उत्पादन पर्यावरण के लिए भी सहयोगी और अनुकूल है। इस विषय पर गहन शोध और अध्ययन की आवश्यकता है। डी एल एस महाविद्यालय इस सम्बंध में बहुत ही सकारात्मक रूप से कार्य कर रहा है।” मुख्यवक्ता प्रो. ए.के. पाण्डेय ने कहा हमारे शोध एथीकल, इकोनोमिकल, एनर्जी सेविंग व रोजगार मूलक हों इन सारे उद्देश्यों में मशरूम का उत्पादन खरा उतरता है। मशरूम वास्तव में एक कवक अथवा फंगी है। पहले कई लोग मशरूम से घृणा करते थे जबकि आज इसके गुणों के कारण इसकी कई रूपों की तस्करी होने लगी क्योंकि इससे कई तरह के प्रोडक्टस बनते हैं। छत्तीसगढ़ मशरूम संवर्ध्दन हेतु हाॅट एरिया है। मशरूम से जैकेट, कपड़ा, फर्नीचर भी बना रहे है, इसमें दीमक नहीं लगता है अपने औषधीय गुणों के चलते मशरूम भविष्य में अमृत का काम करेगा। डाॅ. लतिका भाटिया ने कहा कि इंडियन साइंस कांग्रेस बिलासपुर चैप्टर विज्ञान के विकास और नवीन रिसर्च के लिए निरन्तर उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। श्रीमती निशा बसंत शर्मा जी ने कहा “मशरूम संवर्धन पर केंद्रित, बीते कल से सम्पन्न हो रहा यह 2 दिवसीय नेशनल सेमिनार अपने शानदार और यादगार आयोजन के कारण महाविद्यालय की उपलब्धियों में एक ऐतिहासिक स्थान रखेगा।” महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ.रंजना चतुर्वेदी ने लिज्जत पापड़, एम डी एच मसाले आदि उद्योगों का उदाहरण देते हुए मशरूम संवर्द्धन के लघु उद्योग में युवा पीढ़ी को ‘पढो और कमाओ’ के माध्यम से जुटने को कहा। डाॅ. आर. वी. शुक्ला ने बताया कि मशरूम की खोज सम्भवतः सबसे पहले छ.ग. में ही हुई, छ.ग. के जंगलों में यह सबसे अधिक मात्रा में व प्रजातियों में मिलता है। संगोष्ठी में 42 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए, 90 एब्स्ट्रेक्ट प्राप्त हुए, 25 पोस्टर प्रेजेंटेशन हुए। प्रारम्भ में अतिथियों ने माँ वीणापाणि के विग्रह के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर किया। अतिथियों द्वारा महाविद्यालय परिवार के प्रेरणास्रोत स्व बसन्त शर्मा व पितृ पुरुष स्व दशरथ लाल शर्मा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर पढ़े जाने वाले शोध पत्रों के सारांश की ‘स्मारिका’ का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। सेमिनार की संयोजक डॉ अर्चना पाण्डेय ने सेमिनार की प्रायोजना को स्पष्ट किया व आभार प्रदर्शन सह संयोजक डॉ नेहा बेहार ने किया। संयोजन में सहायक डॉ कृष्ण कुमार वर्मा व सुमित दुबे का सहयोग रहा। कार्यक्रम का प्राणवान संचालन सेमिनार कोआर्डिनेटर डॉ प्रताप पाण्डेय ने व राज्य गीत का गायन रासेयो कार्यक्रम अधिकारी संस्कृति शास्त्री ने किया। सभी अतिथियों को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। इस अवसर पर वित्त नियंत्रक सतीश शर्मा, सचिव उमेश जाधव, सी ई ओ राकेश दीक्षित, डॉ क्षमा त्रिपाठी, अशोक जोशी, पी एस ढल्ला, सुनीता द्विवेदी, डॉ गीता तिवारी, डॉ स्वाति शर्मा, राजेश सिंह, विजय वैष्णव, संजय दुबे, पूजा यादव, डॉ प्रीती मिश्रा, संगीता बंजारे, नाजनीन खान्, सारिका श्रीवास्तव, वन्दना तिवारी, अर्चना तिवारी, सुष्मिता मिश्रा, मुक्ता कुमारी, रसिका लोणकर, डॉ गीता होता, काजल गुप्ता, ओम प्रकाश साहू, मुकेश देवांगन, एस के पाण्डेय, चैतन्या जाधव, आकांक्षा शर्मा, विनीता सराफ, वर्षा श्रीवास, डॉ अनीता बघेल, शोभना कोशले, मिनी गुप्ता, मिठु अधिकारी, शेख अफरीदी, वीणा राठौर, झरना पटेल, साक्षी श्रीवास, खुशबू केशरवानी, फेमिना चन्द्रा, महिमा जाधव, निधि गुप्ता, श्रद्धा कश्यप, नेहा सोनी, रिकी पटेल, अंकित दुबे, अविनाश निर्मलकर, टीकाराम पटेल, अजीत कस्तूरिया, हितेश जायसवाल, राकेश शर्मा, नीतिश शर्मा, महेश जांगड़े, भानुप्रताप सिंह, धरमपाल पोर्ते, सत्येंद्र कैवर्त्य, आशुतोष साहू, राघव शर्मा, पुरुषोत्तम पटेल, इंद्रकुमार कैवत्र्य, संजय कैवर्त्य, संजय कौशिक, श्रुति मालाकार, रासेयो स्वयंसेवक व छात्रगण उपस्थित रहे।
तकनीकी सत्रों में प्रो आर के एस तिवारी (अधिष्ठाता, बैरिस्टर छेदीलाल कृषि विश्वविद्यालय बिलाासपुर) ने 4 प्रकार के मशरूम कल्टीवेशन के विषय में बताते हुए कहा ‘कि ‘घर घर मशरूम’ के तहत धमतरी जिले में बटन मशरूम का उत्पादन होता है। इस सत्र में डॉ. दिनेश पाण्डेयजी बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि विश्वविद्यालय, डॉ.कलाधर जी, प्रो. एस सी तिवारी, गुरुघासीदास विश्वविद्यालय, प्रो संतोष प्रजापति गुरुघासीदास विश्वविद्यालय, प्रो आर के पाण्डेय गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर ने मार्गदर्शन प्रदान किया।
सेमिनार की प्रतियोगिताओं में मौखिक प्रस्तुति में प्रथम-धनेश्वर यादव एवं चंद्रकांता सोनी, द्वितीय- इंदू कौशिक, तृतीय-धर्मेन्द्र कश्यप रहे। मॉडल प्रस्तुति में प्रथम-रिया व धनंजय तिवारी रहे। पोस्टर प्रस्तुति में प्रथम-डॉ लतिका भाटिया व दिलीप साहू, द्वितीय-संजय कुमार भारती, दीपक भास्कर, तृतीय-सत्यम , कविता दिवाकर, बीना, चतुर्थ-मुक्तेश व केशव तथा पंचम- पुष्पलता रहे।