अवध नगरी अयोध्या मूलरूप से मंदिरों का शहर रहा है. कहा जाता है कि, अयोध्या नगरी को भगवान श्रीराम के पूर्वज विवस्वान (सूर्य) पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा बसाया गया था. इसलिए अयोध्या नगरी में सूर्यवंशी राजाओं का राज महाभारत काल तक रहा. अयोध्या नगरी के दशरथ महल में ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ. धन्य-धान्य और रत्न-आभूषणों से भरी इस नगरी की अतुलनीय छटा और खूबसूरत इमारतों का वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. इसलिए तो महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में अयोध्या नगरी की शोभा की तुलना करते हुए इसे दूसरा इंद्रलोक कहा.
लेकिन भगवान श्रीराम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या कुछ समय के लिए उजाड़ हो गई थी. कहा जाता है कि, रामजी के पुत्र कुश ने फिर से अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया और इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व चरम पर रहा. इसके बाद महाभारत काल में हुए युद्ध के बाद भी अयोध्या फिर से उजाड़ हो गई.
पौराणिक कथा-कहानियों के अनुसार प्राचीन काल में भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के बाद और महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या के उजाड़ होने और फिर से बसने का वर्णन मिलता है. लेकिन श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या और यहां बने श्रीराम मंदिर को एक नहीं बल्कि कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा. अयोध्या को नष्ट करने के लिए मुगलों द्वारा कई अभियान भी चलाए गए, मंदिर में बाबरी ढांचा खड़ा किया, भव्य मंदिर तोड़ मस्जिद बनवाए गए. लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि कभी नष्ट न हो सकी. वैसे तो अयोध्या नगरी का इतिहास त्रेतायुग से भी पुराना है. लेकिन आपको बताएंगे अयोध्या नगरी में विवाद से लेकर विध्वंस, निर्माण और उद्घाटन तक श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या के करीब 500 सालों के बारे में..
श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास (Ram Mandir History)
अयोध्या राम जन्म भूमि देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में एक है. राम जन्मभूमि का इतिहास बहुत पुराना है. 1528 से लेकर 2023 तक श्रीराम जन्म भूमि के पूरे 495 वर्षों के इतिहास में कई मोड़ आए. इसमें 9 नवंबर 2019 का दिन बेहद खास रहा, जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया.
- 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया. इस स्थान को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा यह दावा किया कि, यहां भगवान राम की जन्मभूमि है और इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर भी था. हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान बताया.
- 1853-1949: श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद का निर्माण किया गया, वहां के आसपास के कई स्थानों पर पहली बार 1853 में दंगे हुए. इसके बाद 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों को ढांचे के अंदर वहीं हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी.
- 1949: अयोध्या श्रीराम जन्म भूमि का असली विवाद 23 सिदंबर 1949 को तब हुआ, जब मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिलीं. इसे लेकर हिन्दू समुदाय के लोग कहने लगे कि, यहां साक्षात भगवान राम प्रकट हुए हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि, किसी ने चुपके से यहां मूर्तियां रखीं. ऐसे में यूपी सरकार ने तुरंत मूर्तियों को वहां से हटाने के आदेश दिए. लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने और दंगों भड़कने के डर से इस आदेश में असमर्थता जताई. इस तरह से सरकार द्वारा इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगा दिया गया.
- 1950: फैजाबाद के सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल हुई. इसमें एक तो विवादित भूमि पर रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरी मूर्ति रखे जाने की इजाजत पर थी.
- 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक अर्जी दाखिल की और विवादित भूमि पर पजेशन और मूर्तियों को हटाने की मांग की.
- 1984: 1 फरवरी 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी और ढांचे पर लगे ताले को हटाने का आदेश दिया.
- 1992: यह दंगा एतिहासिक रहा. 6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. इससे देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों की तादाद में लोग मारे गए.
- 2002: गोधरा ट्रेन जोकि हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही थी, उसमें आग लगा दी गई और करीब 58 लोग मारे गए. इसे लेकर गुजरात में भी दंगे की आग भड़क गई और दो हजार से अधिक लोग इस दंगे में मारे गए.
- 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले पर विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.
- 2011: अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.
- 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया और भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए.
- 2019: 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्च ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने के आदेश दिए. इसके बाद 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यसथता पैनल मामले में समाधान निकालने कामयाब नहीं रहें. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनाई होने लगी. और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया.
- 2019, 09 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया. वहीं 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया.
- 2020: 25 मार्च 2020 को पूरे 28 बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में शिफ्ट हुए और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया.
- 2023: अब एक बार फिर से श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. 22 जनवरी 2024 को रामलला के भव्य मंदिर का अभिषेक होगा. इस तरह से सालों साल चले इस विवाद का अंत होगा और रामलला की पूजा-अराधना की जाएगी.
22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर का अभिषेक
करीब 500 साल के लंबे इंतजार और कड़ी लगाई के बाद आखिरकार 22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अभिषेक समारोह आयोजित किया जाएगा. यह सनातन प्रेमियों के लिए भक्ति, खुशी और उत्साह का पल होगा. यह अवसर एक त्योहार के समान होगा. 22 जनवरी को राम मंदिर के अभिषेक व प्राण प्रतिष्ठा के बाद 24 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा. फिर सभी भक्तगण मंदिर में रामलला के दर्शन कर पाएंगे.