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ABVP छात्रों को हुई जेल, साथ खड़े हुए शिवराज और CM मोहन यादव

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भोपाल

ट्रेन में एक वॉइस चांसलर को हार्ट अटैक आया तो कुछ छात्रों ने उनकी जिंदगी बचाने के लिए मानव धर्म निभाते हुए उनकी मदद की। वॉइस चांसल की मदद करना इन छात्रों को महंगा पड़ गया। मदद करने वाले छात्रों को जेल की हवा खानी पड़ी है, क्योंकि वीसी को अस्पताल ले जाने के लिए छात्रों ने जल्दबाजी में एक कार का बिना परमिशन उपयोग कर लिया और बाद में पता चला कि वह कार हाई कोर्ट जज की थी। यह छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के हैं। छात्रों पर लूट का मामला दर्ज हो गया है। अब उन्हें जेल भेज दिया गया।

इस पूरे मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों पर केस दर्ज करने के खिलाफ विद्यार्थी परिषद द्वारा अब ग्वालियर के साथ ही प्रदेश भर में चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया गया है। उनका कहना है कि मानवता के लिए किसी व्यक्ति की मदद करने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है, वह पूरी तरह गलत है। इस मामले में अब राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव भी खड़े हो गए हैं।

  एबीवीपी का कहना है कि मानव धर्म, इंसानियत, मानवता और सेवा परमो धर्म यह कहता है की कोई संकट में हो तो उसकी मदद जरूर करना चाहिए। भारतीय संस्कृति में सेवा परमो धर्म बताया गया है इसीलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने किसी की जिंदगी बचाने के लिए सारे नियम और कायदे कानून दरकिनार कर दिए। एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद छात्र कानून की सीमा पार कर गए और नतीजा यह हुआ कि उन पर डकैती का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया। आइए अब आपको पूरा घटनाक्रम बताते हैं

तीन दिन पहले दिल्ली में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन से कुछ छात्र ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ रहे थे। इस दौरान एक यात्री की अचानक तबियत बिगड़ जाती है। बाद में पता चला कि वह व्यक्ति एक विश्वविद्यालय का वॉइस चांसलर था। छात्रों ने उसे बचाने के लिए ग्वालियर पहुंचने से पहले मुरैना से ही स्टेशन के अधिकारी और एंबुलेंस को सूचना दे दी लेकिन ग्वालियर पहुंचने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली। स्टेशन पर उतरने के बाद भी छात्र लगभग 25 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे। एंबुलेंस नहीं आई तो छात्र हिमांशु श्रोत्री और सुकृत शर्मा ने पोर्च में खड़ी एक कार में प्रोफेसर रणजीत सिंह को लिटाया और अस्पताल की ओर दौड़ पड़े। हालांकि, इस दौरान एंबुलेंस पहुंच भी गई, लेकिन तब तक छात्र वाइस चांसलर को गाड़ी में लिटा चुके थे। गाड़ी पर मौजूद ड्राइवर ने पड़ाव थाने में शिकायत दर्ज कराई की जबरदस्ती छात्रों ने गाड़ी छीन ली और लूट कर ले गए। छात्रों को बाद में पता चला कि वह गाड़ी एक जज साहब की थी इसके बाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर छात्रों को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने जेल भेज दिया।

इस घटना के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र न्याय के लिए पहले पड़ाव थाने पर हंगामा करते रहे और न्याय की गुहार लगाते रहे। जब बात नहीं बनी तो छात्र एसपी ऑफिस पहुंच गए और गेट पर धरना दे दिया। वहीं छात्रों की जमानत के लिए सेशन कोर्ट में आवेदन दिया गया लेकिन कोर्ट ने यह कहकर जमानत याचिका खारिज कर दी कि मदद बलपूर्वक नहीं ले सकते। उधर जेल में छात्रों की तबीयत बिगड़ गई है। उन्हें ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। अब छात्रों को जेल से छुड़ाने के लिए हाईकोर्ट में जमानत आवेदन लगाया गया है।

अब इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि मानवीय आधार पर सहयोग और जान बचाने के अभिप्राय से यह अपराध हुआ है। यह अपराध है पर क्षमा योग्य है। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस पूरे मामले में कहा है कि पुलिस जल्दबाजी न करे, गंभीर धाराएं तुरंत लगाने से बचने की जरूरत है और हम छात्रों की पूरी मदद करेंगे।