जयपुर
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शानदार जीत मिली। नरेंद्र मोदी की गारंटी पर मिली जीत का असर यह रहा कि बीजेपी ने तीनों राज्यों में पुराने क्षत्रपों के युग का अंत कर दिया। रमन सिंह, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के नाम पर सीएम पद के लिए चर्चा तो जरूर हुई, मगर वह रेस में पिछड़ गए। बीजेपी नेतृत्व ने फिर चौंकाने वाला निर्णय लिया। राजनीति के तमाम समीकरण खंगाले गए। जाति, लोकसभा चुनाव, पीएम मोदी की पसंद और पार्टी के भविष्य को तलाशते हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नए चेहरे सामने लाए गए।
डिप्टी सीएम के तौर पर भी इन राज्यों में नए चेहरों को दायित्व दिया गया। अब मंत्रिमंडल गठन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। तरह-तरह के सवाल हैं। क्या सीएम पद छोड़ने वालों के समर्थकों को जगह मिलेगी? मंत्रिमंडल के गठन में भी चौंकाने वाला फैसला हो सकता है। एक चर्चा यह भी है कि बीजेपी इन तीन राज्यों में गुजरात वाला प्रयोग कर सकती है। यानी सीएम से मंत्री तक सभी नए हो सकते हैं।
जानिए क्या है मंत्रिमंडल में गुजरात वाला प्रयोग
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर 2021 में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में बड़ा प्रयोग किया। विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए। इससे पहले 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव विजय रूपाणी के चेहरे पर लड़ा गया था और बीजेपी ने 115 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। रूपाणी की लोकप्रियता भी कम नहीं हुई थी। इसके बावजूद अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने सीएम बदल दिया। इसके अलावा प्रयोग के तौर पर भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल में 24 नए विधायकों को मंत्री बनाया गया। पूरी टीम ही बदल दी गई। मंत्रियों का फैसला भी दिल्ली में हुआ।
रूपाणी मंत्रिमंडल के 22 मंत्रियों को भूपेंद्र पटेल की सरकार में जगह नहीं मिली। बीजेपी नेतृत्व के इस फैसले के दो नतीजे आए। पहला भूपेंद्र पटेल ने फ्री हैंड सरकार चलाई। उन्हें गवर्नेंस के लिए किसी के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। दूसरा 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रेकॉर्ड 156 सीटें हासिल कर ली। मंत्रिमंडल में बदलाव से बीजेपी जनता के बीच बाकी बची एंटी इम्कंबेसी का हल ढूंढ लिया। बीजेपी आमूलचूल बदलाव का प्रयोग निकाय चुनाव भी आजमा चुकी थी।
गुजरात जैसा ही बना है तीन राज्यों में माहौल
गुजरात चुनाव और हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा में एक समानता है, जो इशारा करती है कि अब तीन राज्यों में भी बड़ा प्रयोग हो सकता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और मोदी की गारंटी पर लड़ा गया। विजय रूपाणी की तरह शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और वसुंधरा राजे इन राज्यों में बड़ा सीएम फेस मौजूद था, मगर चुनाव की कमान पीएम मोदी ने संभाल रखी थी। विजय रूपाणी की लोकप्रियता भी पांच साल के शासन के दौरान गुजरात में चरम पर थी।
जब वह सीएम पद से हटाए गए, तब किसी को ऐसे बदलाव की उम्मीद नहीं थी। तीनों राज्यों में वैसा ही हुआ। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के चेहरे भी दिल्ली से तय किए गए। मंत्रिमंडल में सिर्फ दो डिप्टी सीएम ही रखे गए। मंत्री कौन बनेंगे, यह फैसला आलाकमान ही तय करेगा। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। मंत्रिमंडल में विवाद नहीं हो और नए मुख्यमंत्री हाईकमान के सपनों को पूरा करे, ऐसा तभी संभव हो जब पुराने दबंग चेहरे सत्ता से दूर रहें।
लोकसभा चुनाव में प्रयोगों का कितना असर पड़ेगा
माना जाता है कि बीजेपी नेतृत्व ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में नए चेहरों को लॉन्च किया है। मगर इसमें एक दूसरी चुनौती भी आ सकती है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे की लोकप्रियता जनता के बीच अभी बनी है। चाउर वाले बाबा के तौर पर रमन सिंह भी छत्तीसगढ़ में दमदार नेताओं में शुमार हैं। इन तीन राज्यों की अधिकतर सीटें अभी भी बीजेपी के पास है। अगर लोकप्रिय नेताओं के समर्थक नाराज होते हैं तो पार्टी को नुकसान हो सकता है।
इस हालात में नए नेताओं को अगले चार महीने में जनता के बीच लोकप्रियता हासिल करनी होगी। दूसरा केंद्रीय नेतृत्व पुराने क्षत्रपों को सम्मान के साथ संजोकर रखना होगा। फिलहाल बीजेपी लोकसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी। हिंदुत्व , विकास और मोदी की गारंटी के साथ चुनाव का मुद्दा होगा। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं को भी वोट जुटाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। मंत्रिमंडल विस्तार में भी इसका ख्याल रखा जाएगा कि राज्यों में अगले 20 के लिए नेतृत्व तैयार किया जा सके।