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अपने लिए मांगने से बेहतर मरना, विदाई पर शिवराज ने खुलकर की ‘मन की बात’, भविष्य पर भी बोले

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भोपाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता से अपनी विदाई के बाद अपनी उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि जब उन्होंने कमान संभाली थी तो यह एक बीमारू राज्य था। शिवराज सिंह चौहान ने 2003 से अब तक की अपनी यात्रा को याद करते हुए यह भी कहा कि यदि उनसे कभी कोई गलती हुई हो तो क्षमा मांगते हैं। शिवराज ने यह जताने की भरसक कोशिश की कि उन्होंने पार्टी के फैसले को सहजता से लियाा है और उनकी भूमिका एक कार्यकर्ता की है, भाजपा जो भी काम देगी उसे वह करते रहेंगे।

163 सीटों पर भाजपा की जीत के बाद हुई विदाई पर शिवराज सिंह चौहान याद किया कि किस तरह 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा को बहुमत मिला था और उन्होंने मुख्यमंत्री बनाया गया था। शिवराज ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि जब विदाई हुई है तो भाजपा को भारी बहुमत से जीत मिली है और अब तक की सर्वाधिक वोट शेयर वाली (48.55 फीसदी) सरकार बनाकर जा रहे हैं। उन्होंने इस बात का भी संतोष जाहिर किया कि जब उन्होंने कमान संभाली थी तो यह बीमारू राज्य था और उन्होंने विकास का लंबा सफर तय किया। शिवराज ने कई आंकड़े पेश करते हुए अपनी रिपोर्ट कार्ड भी सामने रखी और बताया कि कैसे उनके कार्यकाल में मध्य प्रदेश का विकास हुआ।

'टूटने नहीं दूंगा रिश्ता'
शिवराज ने कहा, 'एक अच्छा नेतृत्व पार्टी ने तय किया है। पार्टी के कार्यकर्ता के नाते, मैंने सदैव कहा है कि भाजपा मिशन है मेरे लिए, जनता की सेवा का, वह काम लगातार चलता रहेगा। मुख्यमंत्री रहते हुए भी जनता से मेरे रिश्ते कभी जनता और मुख्यमंत्री के नहीं रहे। परिवार के रूप में रहे हैं। मामा का रिश्ता है प्यार का रिश्ता और भइया का रिश्ता है विश्वास का रिश्ता। यह प्यार और विश्वास के रिश्ते को जब तक मेरी सांस चलेगी, मैं टूटने नहीं दूंगा और उनकी सेवा में जो बेहतर बन पड़ेगा। मैं करने का सदैव प्रयास करता रहूंगा, जनता ही मेरे लिए सबकुछ है। जनता की सेवा भगवान की पूजा है।' उन्होंने सहयोग के लिए पीएम मोदी और राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार जताया।

'काहे का अन्याय हो गया, 18 साल तक मुझे सीएम बनाया'
लोकसभा चुनाव लड़ने से जुड़े सवाल को शिवराज सिंह चौहान ने काल्पनिक बताया और कहा कि पार्टी जो तय करेगी वह करेंगे। शिवराज ने कहा, 'मैंने पहले भी कहा है कि हम एक बड़े मिशन के लिए भाजपा का काम करते हैं और कार्यकर्ता हैं। मिशन तय करता है कि हम कहां रहेंगे। यह घटिया सोच है कि मैं कहा रहूंगा, मैं कहां रहूंगा। अब ऐसा आदमी कुछ नहीं कर सकता, सिवाय, मैं नहीं बना, रोऊं गाऊं, बड़ा अन्याय हो गया। काहे का अन्याय हो गया। एक साधारण कार्यकर्ता को 18 साल मुख्यमंत्री बनाकर रखा भाजपा ने, कोई दूसरा पहलू नहीं देखता। सबकुछ दिया भाजपा ने मुझे अब मुझे भाजपा को देने का वक्त आया है। यह सोच क्यों नहीं हो सकती है। इसलिए मैं इससे ऊपर उठ गया हूं।'

'अपने लिए मांगने से बेहतर मरना समझूंगा'
'मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा' हाल ही दिए गए इस तरह के बयान को लेकर जब शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'उस दिन जो संदर्भ था वह यह था कि बाकी दिल्ली में हैं, आप दिल्ली जाएंगे क्या। एक बात मैं बड़ी विनम्रता से कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर मैं मरना समझूंगा। वह मेरा काम नहीं है। इसलिए मैंने कहा था कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा।'