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झारखंड में बढ़ी ठंड गिरा पारा, अभी और बढ़ेगी कनकनी

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रांची

  झारखंड में चक्रावती तूफान का असर खत्म होने के साथ ही ठंड में बढ़ोतरी हुई। रांची समेत राज्य के अधिकांश जिलों के न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। कई जिलों का न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने के कारण सुबह और शाम में लोगों को काफी ठंड महसूस हो रहा है। वहीं उत्तर भारत के कई इलाकों में हुई बर्फबारी और उत्तर से आ रही ठंड हवा से कनकनी में और अधिक बढ़ोतरी का अनुमान है। आने वाले कई जिलों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे आ जाने का अनुमान है।
 

रामगढ़ में सबसे कम 10.7 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान

राज्य में पिछले 24 घंटे में सबसे कम न्यूनतम तापमान रामगढ़ में 10.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। रांची का न्यूनतम तापमान 12.4, जमशेदपुर का 13.7, डालटनगंज का 11.7, बोकारो का 11.5, चाईबासा का 12.8, देवघर का 13.2, गिरिडीह का 13.3, गढ़वा का 11.3, रामगढ़ का 11.3 और गोड्डा जिले का 13.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। ठंड के मौसम में सोमवार को रांची में सूर्याेदय का समय 6.20 मिनट पर होगा, जबकि सूर्यास्त 17.04 बजे होगा।

अगले 5 दिनों में न्यूनतम तापमान 12 से 13 डिग्री

मौसम विभाग विभाग के अनुसार राज्य में अगले पांच दिनों तक न्यूनतम तापमान 12 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। 16 दिसंबर तक रांची और आसपास के क्षेत्रों में आसमान साफ और मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 24 से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने के आसान है। राज्य के अन्य हिस्सों के लिए अगले पांच दिनों के लिए कोई चेतावनी नहीं है। इस दौरान न्यूनतम तापमान में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।

ठंड में बढ़ोतरी के साथ ही अलाव की व्यवस्था

राजधानी रांची समेत अन्य शहरों में ठंड के मौसम में फुटपाथ पर रहने वाले लोगों की सुविधा के लिए नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था भी जा रही है। नगर निगम की ओर से शहर के लोगों से अपील की गई कि चौक-चौराहों में पर ठंड में रहने को विवश लोगों की सूचना कंट्रोल रूम को दें। निगम ऐसी जगहों पर अलाव की व्यवस्था करेगा। बताया गया है कि बारिश के दौरान बिजली आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए रांची नगर निगम की ओर से कई स्थानों पर पेड़ों की छंटाई की गई थी। लकड़ियों को बकरी बाजार स्टोर में लाकर सुखया गया था। ठंड के मौसम में इसे अलाव के रूप में जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।