पटना
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया अलायंस में असहज महसूस कर रहे हैं। उनको सबसे बड़ी कोफ्त इस बात को लेकर है कि इंडिया अलायंस की अगुआई करने वाली पार्टी कांग्रेस विपक्षी एकता को लेकर गंभीर नहीं दिखाई देती। गंभीरता नहीं होने के कारण कांग्रेस को चार राज्यों में हार का मुंह देखना पड़ा। विपक्षी गठबंधन में शामिल साथी दलों की भावनाओं को कांग्रेस ने तवज्जो नहीं दी। समाजवादी पार्टी, जेडीयू और आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी गठबंधन में शामिल प्रमुख दलों को कांग्रेस की अनदेखी की वजह से उसके खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने पड़े। नतीजतन कांग्रेस का बंटाधार तो हुआ ही, सहयोगी दलों का भी खाता नहीं खुला।
नीतीश की नाराजगी की वजह कांग्रेस की सुस्ती
नीतीश कुमार को सबसे अधिक गुस्सा विपक्षी एकता के काम को आगे बढ़ाने में कांग्रेस की सुस्ती है। पिछले एक साल से नीतीश विपक्षी एकता के प्रयास में लगे हैं। लालू यादव के साथ पिछले साल नीतीश ने विपक्षी एकता के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। तब सोनिया ने प्रापर रिस्पॉन्स नहीं दिया। राहुल गांधी तब अपनी देश बचाओ यात्रा पर निकले थे। कई महीने बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नीतीश को मुलाकात के लिए बुलाया। कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का दायित्व नीतीश को ही सौप दिया। नीतीश ने पटना में इसी साल 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई। डेढ़ दर्जन दलों के नेता बैठक में शामिल हुए। बाद में विपक्षी एकता की कमान कांग्रेस ने अपने हाथ मे ले ली। कांग्रेस के इस कदम से नीतीश के मन में गुस्सा स्वाभाविक है।
तेलंगाना के सीएम रेवंत ने बिहार का अपमान किया
इस बीच तेलंगाना के नये सीएम रेवंत रेड्डी ने केसी राव के बहाने बिहार-यूपी के कुर्मियों पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी। उन्होंने इनके डीएनए पर सवाल उठा दिया। नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से आते हैं। उनका आधार वोट भी लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण पर आधारित है। उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़ने के बाद नीतीश को कुशवाहा वोटरों का साथ मिलने पर पहले से ही संदेह पैदा हो गया है। अगर नीतीश ने तेलंगाना के सीएम के बयान का प्रतिवाद नहीं किया तो कुर्मी बिरादरी के उनके वोटर भी बिदक सकते हैं। पहले से कांग्रेस की सुस्ती से खार खाए नीतीश को बिदकने का यह एक आधार बन सकता है।
विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों की उपेक्षा से आहत
विपक्षी दलों का साथ मिलने के बजाय कांग्रेस को भाजपा के अलावा विपक्षी दलों से भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जूझना पड़ा। इस वजह से कांग्रेस मध्य प्रदेश में अच्छी स्थिति होने के बावजूद हार गई। राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी उसके हाथ से निकल गए। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्षी एकता की गतिविधियां रोक दीं। नीतीश के मन में इससे भी गुस्सा है। वे कई बार यह बात कह चुके हैं कि कांग्रेस को तो विधानसभा चुनाव की पड़ी हुई थी। परिणाम आए तो कांग्रेस की फजीहत हो गई। आनन फानन कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन की बैठक बुला दी। नाराज चल रहे सपा नेता अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार ने अपनी-अपनी व्यस्तताएं बता कर बैठक में जाने से मना कर दिया। अब नई तारीख 17 दिसंबर तय हुई है। गैर कांग्रेसी विपक्षी दलों ने शर्त रखी है कि पहले सीटों का बंटवारा हो, फिर कोई बात हो।
विपक्षी नेताओं ने किया हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान
नीतीश कुमार अक्सर कहते हैं कि वे सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान का भाव रखते हैं। लेकिन कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, डीएमके नेता लगातार भाजपा के बहाने हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करते रहे हैं। कोई राम और रामायण पर सवाल खड़े करता है तो कोई सनातन के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करता है। हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इसे भुना लिया। नीतीश के मन में इससे भी नाराजगी है। बिहार में आरजेडी कोटे के मंत्री चंद्रशेखर की हिन्दू धर्मग्रंथों को लेकर की गई टिप्पणी नीतीश को अच्छी नहीं लगी थी। उन्होंने इसके लिए चंद्रशेखर को टोका भी था। यहां तक कि उनके सिर पर उन्होंने अपने सबसे कड़े आईएएस केके पाठक को बिठा दिया। नीतीश के इंडिया अलायंस छोड़ने का यह आधार बन सकता है।
कांग्रेस सांसद के घर से करोड़ों की बरामदगी भी मुद्दा
इंडिया अलायंस की अगुवाई करने वाली कांग्रेस के एक सांसद के घर से करोड़ों की नकद बरामदगी को भी नीतीश मुद्दा बना सकते हैं। नीतीश कहते भी है कि करप्शन, क्राइम और कम्युनलिज्म से वे कोई समझौता नहीं करेंगे। नीतीश खुद भी अब तक बेदाग रहे हैं। कांग्रेस सांसद के घर से बरामद नोटों की गिनती अभी चल ही रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बरामद रुपयों के अलग अलग आंकड़े सामने आए हैं। कोई 50 करोड़, 100 करोड़ तो कुछ 300 करोड़ की रकम बरामद होने की बात बता रहे हैं। पीएम मोदी ने उस सांसद के साथ राहुल की तस्वीर दिखा कर कांग्रेस को भ्रष्टाचार की गारंटी वाली पार्टी बता दिया है। साफ छवि वाले नीतीश के पास पहले से ही आरजेडी नेता और बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट का मामला है। तेजस्वी का नाम पहली बार जब सीबीआई की जांच में आया था था तो 2017 में नीतीश ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया था। अब तो तेजस्वी चार्जशीटेड भी हो गए हैं। लिहाजा नीतीश के इंडिया अलायंस छोड़ने का यह भी आधार बन सकता है।