नईदिल्ली
निर्वाचन आयोग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम 3 दिसंबर को घोषित कर दिए थे. इनमें से दो राज्यों तेलंगाना और मिजोरम में नई सरकारों का गठन हो चुका है. कांग्रेस के ए रेवंत रेड्डी तेलंगाना और जेडपीएम के लालदुहोमा मिजोरम के नए मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है.
अतीत के अनुभव बताते हैं कि भाजपा ने जब भी किसी राज्य में मुख्यमंत्री चुनने में देर की है, तो वहां कोई नया चेहरा उभरकर सामने आया है. उपरोक्त तीनों राज्यों में भी बीजेपी अपना यह रिवाज दोहरा सकती है. तीन में से दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया है. इन दोनों राज्यों में 2018 में जब बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी तो उसके मुख्यमंत्री क्रमश: वसुंधरा राजे सिंधिया और रमन सिंह थे.
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपनी सत्ता बरकरार रखी है. शिवराज सिंह चौहान सीएम पद पर बने हुए हैं. लेकिन उनकी दावेदारी पुख्ता नहीं है. क्योंकि बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करके मध्य प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ा था. मुख्यमंत्री चुनने में हो रही देरी को लेकर अगर भाजपा के अतीत के फैसलों को देखें तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत मिलते हैं. इन्हीं राज्यों में साल 2013 विधानसभा चुनावों को याद करिए.
भाजपा ने 2013 में तीन दिन के अंदर चुन लिए थे मुख्यमंत्री
भाजपा ने चुनाव परिणाम घोषित होने के महज 3 दिनों में ही छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री के नामों का ऐलान कर दिया था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बीजेपी को इन राज्यों में किसी नए चेहरे को सीएम नहीं बनाना था. एमपी में शिवराज, राजस्थान में वसुंधरा और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह का मुख्यमंत्री बनना तय था. अब 2017 के विधानसभा चुनावों को याद करिए. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा को मुख्यमंत्री चुनने में देरी हुई थी. नतीजन तीनों ही राज्यों में फ्रेश चेहरे मुख्यमंत्री बने थे.
भगवा पार्टी ने 2017 में लिया समय तो नतीजे भी रहे अलग
हिमाचल, उत्तराखंड और यूपी में सीएम पद की रेस में प्रेम कुमार धूमल, अनुराग सिंह ठाकुर, भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, राजनाथ सिंह, मनोज सिन्हा जैसे कई पुराने और नामी चेहरे शामिल थे. लेकिन बीजेपी ने उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत, हिमाचल में जयराम ठाकुर और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को सत्ता की कमान सौंपकर अपने विरोधियों को भी चौंका दिया था. हालांकि, उत्तराखंड में बाद में तीरथ सिंह रावत और उनके बाद पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया.
MP, छत्तीसगढ़, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा तीनों ही राज्यों में नेतृत्व स्तर पर बदलाव के मूड में है. अगर उसे पुराने चेहरों को ही मुख्यमंत्री बनाना होता तो इतनी देर नहीं होती. इस बार भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं. लेकिन किसी चेहरे पर अब तक निर्णय नहीं हो पाया है.एमपी में शिवराज सिंह के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं.
तीनों राज्यों के लिए हो चुकी केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति
राजस्थान में वसुंधरा के अलावा अश्विनी वैष्णव, अर्जुम राम मेघवाल, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ जैसे नेताओं के नाम की चर्चा है. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के अलावा अरुण साव, रेणुका सिंह और ओपी चौधरी के नामों की अटकलें हैं. तीनों राज्यों में अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा यह सिर्फ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को ही पता है. पार्टी ने तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आज विधायक दल की बैठक होनी है और मध्य प्रदेश में कल शाम को होगी. उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिन में मुख्यमंत्री के नामों का ऐलान हो जाए.