नालंदा
सरकार का जोर है कि किसान खेतों में धान की फसल के अवशेष को नहीं जलाएं। ऐसा करते पकड़े जाने पर 3 वर्ष तक किसान पंजीकरण रद्द कर सरकारी अनुदान से किसानों को वंचित कर दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद इसकी अनदेखी कर खेतों में पराली जलाने के मामले को लेकर विभाग के अधिकारी सख्त हुए हैं। इसी मामले को लेकर दोषी पाए गए, प्रखंड के दो किसानों का पंजीकरण रद्द करते हुए उन्हें 3 वर्ष के लिए मिलने वाली सरकारी अनुदान से वंचित कर दिया गया है।
करायपरसुराय के प्रखंड कृषि पदाधिकारी जन्मेजय प्रसाद सिन्हा ने बताया कि खेतों में पराली जलाए जाने पर पूर्णतः रोक है। इसके बावजूद किसान इसके अनदेखी कर रहे हैं। खेतों में पराली न जले इसे लेकर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि सेटेलाइट की मदद से करायपरसुराय प्रखंड के दो किसानों के द्वारा कई कट्टे खेत में परली जलाएं जाने के मामले को पकड़ा गया है। पराली जलाने के आरोप में प्रखंड के गोन्दु विगहा पंचायत के शाहबाजपुर गांव निवासी किसान मनोगी सिंह के पुत्र अजय सिंह का पंजीयन संख्या 2291 37 89 271 47 तथा मकरौता पंचायत के कमरथू गांव निवासी बुलक महतो के पुत्र हरि नारायण प्रसाद का पंजीयन संख्या 229137 8718 191 को रद्द कर दिया गया है।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि उक्त दोनों किसानों को 3 वर्षों के लिए कृषि विभाग के द्वारा मिलने वाली किसी भी अनुदान से वंचित कर दिया गया है। उन्होंने किसानों से खेतों में पराली नहीं जलाए जाने की अपील करते हुए कहा कि यह गैर कानूनी है। इससे उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किस यदि थोड़ी समझदारी दिखाएं तो वह फसल अवशेष से खाद बनाकर अपने खेत की उर्वरता शक्ति को बढ़ा सकते हैं। कहा कि यदि 1 टन पुआल मिट्टी में मिला दिया जाए तो 25 किलो तक नाइट्रोजन, 40 किलो तक पोटाश तथा 7 किलो तक सल्फर पोषक तत्व के रूप में प्राप्त होगा। साथ ही जैविक कार्बन लगभग 6 से 8 क्विंटल तक प्राप्त होगी। इसके प्रभाव से फसल का उत्पादन बढ़ेगा और उर्वरक का प्रयोग कम होगा। कहां की पराली के बदले खाद लेने की योजना बनाई गई है। 5 क्विंटल पराली के बदले एक क्विंटल गोबर की खाद दिए जाने का प्रावधान है।