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शिवराज यदि बदलते हैं तो कौन होगा अगला सीएम, सिंधिया-तोमर-पटेल-वीडी-कैलाश समेत कई नाम

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 भोपाल

मध्य प्रदेश में भाजपा विधायक दल की बैठक से नया नेता चुने जाने को लेकर भले ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हो गई है, लेकिन सत्ता का सूर्य कौन होगा इसे लेकर पूरे प्रदेश में लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। प्रदेश में पहली बार आठ नेताओं के बीच से सत्ता का मुखिया चुने जाने की कवायद पहली बार हो रही है। इसके चलते ही विधायक दल का नेता चुने जाने को लेकर राजस्थान और छत्तीसगढ़ से ज्यादा समय मध्य प्रदेश में लग रहा है।

यहां पर सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पर फैसला लेगा। गौरतलब है कि भाजपा विधायक दल की बैठक सोमवार की शाम को भोपाल में होना है। दल का नेता चुनने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीवी मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण और राष्टÑीय सचिव आशा लाकड़ा को बनाया गया है। प्रदेश में अब इन तीनों पर्यवेक्षकों के आने का इंतजार चल रहा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपेंगी उसे वह सहज स्वीकार करेंगे। यदि शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री नहीं होते हैं तो फिर नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, सिंधिया, विजयवर्गीय और शर्मा के नाम में से ही मुहर लगेगी।

योग्य विकल्पों में चयन बना चुनौती
भाजपा की लीडरशिप में चमकीले चेहरों की इस बार कमी नहीं हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के राष्टÑीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, राकेश सिंह  और राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी को इस रूप में देखा जा रहा है। इसके चलते ही उन सभी के नाम मुख्यमंत्री की रेस में माने जा रहे हैं। इनमें से कौन होगा प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री इसे लेकर चुनाव परिणाम के बाद से चार दिन तक दिल्ली में भी भाजपा नेताओं के बीच लगातार विचार होता रहा। इसके बाद ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई।

दो डिप्टी सीएम? एक महिला नेत्री भी संभव
 मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्री का फॉर्मूला लागू होने की बात हो रही है। इसके चलते ही यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि उपमुख्यमंत्री कौन हो सकता है। दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा के बीच यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री के साथ नए कैबिनेट का संतुलन बनाया जा सकता है, जिसमें एक महिला विधायक को उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिल
सकता है।

जातीय और लैंगिक संतुलन का संकेत …
सुगबुगाहट है कि भाजपा नेतृत्व तीनों राज्यों में सरकार का गठन इस तरह से करना चाहता है ताकि देश में जातीय और लैंगिक संतुलन का संदेश दे सके। पार्टी इसका लाभ लोकसभा चुनाव में लेना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक तीन राज्यों में से एक राज्य में महिला मुख्यमंत्री का नाम हो सकता है। एक आदिवासी या ओबीसी मुख्यमंत्री का नाम भी घोषित हो सकता है। केंद्रीय पर्यवेक्षक तीनों राज्यों में बैठकों के लिए निकल रहे हैं। विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्रियों के नाम का ऐलान किया जाएगा। मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां सोमवार को सस्पेंस खत्म हो जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा पर्यवेक्षकों के तौर पर आज या कल को भोपाल पहुंच सकते हैं। सोमवार शाम को विधायक दल की बैठक होगी।

मोदी-शाह की पसंद पर पूरे प्रदेश की नजरें
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मुख्यमंत्री के लिए जिस भी नेता का नाम तय करेंगे। वहीं नाम विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षक सामने रखेंगे। जिस पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई जाएगी। इस मुहर को लगाने से पहले मोदी-शाह ने हर एंगल से अगले मुख्यमंत्री को लेकर अपना टेस्ट किया होगा। जिसमें जातिगत समीकरण के साथ ही क्षेत्र का भी ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ सबसे अहम यह होगा कि नए मुख्यमंत्री को लेकर लोकसभा चुनाव में पार्टी कितना फायदा ले सकती है।  

मोदी और अमित शाह के साथ लंबे वक्त से शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल काम कर रहे हैं। तोमर और प्रहलाद पटेल उनकी पसंद लोकसभा में भी रहे, इसलिए इन दोनों नेताओं को उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। वहीं राकेश सिंह को मोदी के नेतृत्व में ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान दी गई थी। इसी तरह वीडी शर्मा भी मोदी की पंसद रहे हैं। शर्मा पिछले चार साल से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद के भाजपा की सरकार की कमान फिर से शिवराज सिंह चौहान को सौंप कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया था। इसी तरह सरकार गिरने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी उन्होंने अपनाया और राज्यसभा में भेजकर उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। कैलाश विजयवर्गीय को संगठन में ले जाकर उनसे पश्चिम बंगाल जैसी राज्य में उपयोग किया, विजयवर्गीय भी मोदी और शाह की पसंद हमेशा ही रहे हैं। यानि सीएम की रेस में शामिल हर नेता मोदी और शाह की कसौटी पर पूरी तरह से भरोस पर खरे उतरे हैं।