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MP में मुख्यमंत्री की रेस में प्रहलाद पटेल सबसे आगे, तोमर और विजयवर्गीय की रहेगी यह भूमिका

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भोपाल

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस दो तीन दिन में समाप्त हो जाएगा। सोमवार को भाजपा के 163 विधायकों और केंद्रीय पर्यवेक्षकों की बैठक होगी। इसमें साफ हो जाएगा कि शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री रहेंगे या फिर कोई दूसरा नाम आएगा। इस बीच पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के बाद सबसे प्रबल दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री और नरसिंहपुर से विधायक प्रहलाद पटेल है। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की भी चर्चा है। 

  छत्तीसगढ़ व राजस्थान का भी मप्र में फंसा पेच
दरअसल, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व छत्तीसगढ़, राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में जातिगत समीकरण के अनुसार सीएम का नाम तय करना चाहता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के मुख्यमंत्री का फेस सामने नहीं करने पर कांग्रेस ने मुद्दा उठाते हुए कहा था कि तीन दिसंबर के बाद ओबीसी वर्ग के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी हटा देगी। कांग्रेस जातिगत जनगणना से लेकर ओबीसी वर्ग को पर्याप्त प्रतनिधित्व नहीं मिलने को लेकर भी हमलावर थी। यही वजह है कि चार बार और 16 साल से अधिक सीएम पद का अनुभव रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी भी रेस में शामिल हैं। हालांकि, पार्टी के सीएम के नए चेहरे के तौर पर प्रहलाद पटेल और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम तेजी से चर्चा में आया है। 

यह है प्रहलाद पटेल का मजबूत पक्ष 
यदि शिवराज को बदला जाता है तो अभी तक दावेदारों में प्रहलाद सिंह पटेल प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रियता ज्यादा है, लेकिन उनके चेहरे से ओबीसी फेस का संदेश नहीं जाएगा। ऐसे में उनकी संभावना कम हो जाती है। प्रहलाद पटेल मोदी और शाह के विश्वास पात्र भी बने हुए हैं। पटेल लोधी समाज से आते हैं। मध्य प्रदेश में 70 से ज्यादा विधानसभा सीटें लोधी बाहुल्य हैं। इनका 12 लोकसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है। लेकिन पटेल का नकारात्मक पक्ष यह है कि वे उमा भारती को सीएम पद से हटाए जाने के बाद भाजपा छोड़कर उनके साथ चले गए थे। 

ब्राह्मण सीएम का भी विकल्प
यदि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आदिवासी और दलित चेहरे पर आलाकमान मुहर लगाता है तो मध्य प्रदेश में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने का भी विकल्प है। प्रदेश में 18 साल में तीन ओबीसी मुख्यमंत्री दिए हैं। वहीं, पड़ोसी राज्यों में दलित और आदिवासी मुख्यमंत्री से कमजोर और शोषित वर्ग में सबको साथ लेकर चलने का मैसेज जाएगा। ऐसे में प्रदेश भाजपा  अध्यक्ष वीडी शर्मा भी दावेदार हो सकते हैं। इसका कारण यह है कि वीडी शर्मा नए चेहरे में फिट बैठते हैं। संगठन के काम को करके दिखा रहे हैं। पार्टी आलाकमान से भी अच्छे रिश्ते हैं। संघ में उनकी मजबूत पकड़ है। 

तोमर, विजयवर्गीय इसलिए पीछे 
सीएम की रेस में नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय भी है। अब नरेंद्र सिंह तोमर के पिछड़ने की वजह यह है कि 
वह ठाकुर है। जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहले से ठाकुर मुख्यमंत्री है। साथ ही उनके बेटे का कथित वीडियो वायरल होने से उनके नंबर कट रहे है। इसके अलावा आलाकमान की नई लीडरशिप लाने की प्लानिंग में कैलाश विजयवर्गीय फिट बैठते नहीं दिख रही है। जानकारों का कहना है कि उनको बनाने से कोई संदेश भी नहीं जाएगा। इसके अलावा पार्टी में गुटबाजी बढ़ने की आशंका ज्यादा रहेगी। हालांकि पार्टी ओबीसी के अलावा आदिवासी वर्ग के नेता के नाम पर भी विचार कर सकती है।   

दिग्गजों का क्या होगा? 
यदि शिवराज के अलावा ओबीसी वर्ग से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनते हैं तो सवाल यह है कि नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय समेत अन्य सांसदों का क्या होगा। जानकारों का कहना है कि नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष या बड़ा विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं, कैलाश विजयवर्गीय को बड़ा मंत्री पद दिया जाता है। वहीं, अन्य राकेश सिंह और रीति पाठक भी मंत्री बन सकते हैं। राकेश सिंह केंद्रीय नेतृत्व के खास है। वहीं, सीधी में विधायक केदार शुक्ला के बागी होने के बाद भी रीति पाठक जीती हैं तो उनका कद बढ़ गया है। शिवराज को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में या केंद्र में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है। 

राजस्थान में ये नेता रेस में
राजस्थान में पार्टी को पिछड़ा वर्ग को कोई बड़ा नेता सीएम पद के लिए दावेदार नहीं दिख रहा है। वहां पर अभी अश्विनी वैष्णव ब्राह्मण, सुनील बंसल बनिया, अर्जुन राम मेघवाल दलित और बाबा बालकनाथ का नाम चल रहा है। बालकनाथ ओबीसी वर्ग से आते हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के कारण बालकनाथ की दावेदारी कमजोर है। इसका कारण योगी को आगे बढ़ाने को लेकर पार्टी पर ठप्पा लगना है। 

इसलिए शिवराज के विकल्प पर विचार 
दरअसल, राजस्थान में आलाकमान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं है। यदि शिवराज को दोबारा मौका दिया जाता है तो राजस्थान में वसुंधरा भी अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर सकती है। इसके अलावा दूसरी वजह नए नेतृत्व को मौका देना भी है।