मॉस्को
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुस्लिम देशों का दौरा करने वाले हैं। पुतिन की इस यात्रा को अमेरिका और यूरोप को जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति की इस यात्रा से अमेरिका को झटका लग सकता है, जो तमाम प्रतिबंधों से उसे अलग-थलग करने में जुटा है। क्रेमलिन के प्रवक्ता के मुताबिक अपनी यात्रा के दौरान पुतिन तेल बाजार के साथ-साथ इजरायल और फिलीस्तीन पर भी चर्चा करेंगे। इसके साथ ही साथ वह रूस के लिए और अधिक समर्थन जुटाने की भी कोशिश करेंगे। गौरतलब है कि पिछले महीने ही अरब देश चीन में आयोजित दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इन देशों में सऊदी अरब, इजिप्ट, जॉर्डन और फिलिस्तीन शामिल थे। इस बैठक में फिलिस्तीन के प्रति समर्थन जाहिर किया गया था।
कई देश हैं खिलाफ
गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया के कई देश रूस के खिलाफ हो गए हैं। इस बीच अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों ने उसके ऊपर कई पाबंदियां लगाई हैं। साथ ही उसे अलग-थलग करने की कोशिश भी की गई है। दूसरी तरफ, व्हाइट हाउस यह भी चेतावनी दे रहा है कि उसके लिए कांग्रेस से नए पैकेज की घोषणा के बिना कीव की सहायता मुश्किल हो रही है।
यह है पुतिन की योजना
पुतिन की इस यात्रा से उनके खास मकसद की भी झलक मिलती है। असल में पुतिन दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि भले ही अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र कितनी भी पाबंदियां लगा लें, वह डरने वाले हैं। यही वजह है कि पश्चिम के प्रतिबंध और आलोचनाओं के बीच वह गैर-पश्चिमी देशों के साथ गठजोड़ बनाने में जुटे हुए हैं। खाड़ी देशों को साधना भी उनकी इसी प्रयास का हिस्सा है।
अक्टूबर में गए थे बीजिंग
अक्टूबर महीने में पुतिन ने बीजिंग की यात्रा की थी, जहां पर उन्होंने चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के दस साल पूरा होने से संबंधित कार्यक्रम में शिरकत की थी। बता दें कि चीन और रूस एक-दूसरे के अभिन्न सहयोगी माने जाते हैं। वहीं, चीन और अमेरिका के संबंध सामान्य नहीं रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन पहुंचकर रूसी राष्ट्रपति ने अमेरिका को करारा जवाब देने की कोशिश की थी। बता दें कि बीते कुछ वक्त में पुतिन ने बहुत ज्यादा विदेश यात्राएं नहीं की हैं। खासतौर पर इंटरेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी के आदेश के बाद वह बेहद सीमित तौर पर गैर मुल्कों में गए हैं।