भोपाल
मरीज को आहार नली में गंभीर कैंसर था। आहार नली में व्यवधान होने के कारण वह न खाना निगल पा रहा था, न ही पानी पी पाता था। मरीज की उम्र 65 वर्ष थी। आहार नली में गांठ बनने के कारण उसकी जान तकलीफ में फंस गई थी, लेकिन भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के डॉक्टर्स ने नवाचार करके मरीज को नया जीवन दे दिया। मामला भोपाल का है। मरीज भोपाल गैस त्रासदी के शिकार है। कैंसर के इस मरीज को भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) लाया गया था। डॉक्टर्स ने उसकी जांच की तो बीमारी गंभीर निकली। इसके बाद बीएमएचआरसी के डॉक्टरों ने आहार नली में एक स्टेंट डालकर रास्ता बना दिया। अब मरीज आसानी से अपना भोजन, दवा व पानी ले पा रहा है।
एमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने चर्चा में बताया कि उक्त मरीज एक वर्ष से आहार नली के कैंसर से परेशान था। उनका इलाज कैंसर अस्पताल में चल रहा था। लेकिन आहार नली की गांठ के बढ़ जाने से उनका खाना खा पाना बिल्कुल बंद हो गया। उनका वजन काफी कम हो गया। वह दवा भी नहीं खा सकते थे। इस कारण कैंसर का उपचार भी नहीं हो पा रहा था। सर्जरी करके गांठ को हटाना लगभग असंभव था। मरीज को जब बीएमएचआरसी लाया गया तो गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में विजिटिंग कन्सलटेंट डॉ. सारांश जैन ने उनकी जांच की। जांच में सामने आया कि आहार नली में स्टेंट डालकर उनकी समस्या का निराकरण किया जा सकता है। इसके बाद डॉ. सारांश जैन ने एंडोस्कोपी के जरिए मरीज को बेहोश किए बिना उनकी आहार नली में स्टेंट प्रत्यारोपित किया। अब मरीज ठीक से भोजन करने लगे हैं। उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
तंबाकू, शराब से हो सकती है यह बीमारी
आहार नली का कैंसर पुरुषों में अधिक होता है। बीमारी का समय पर निदान नहीं किया जाए तो बीमारी मृत्यु का कारण भी बन सकती है। अधिक तम्बाकू और शराब का सेवन इस बीमारी का कारण बनता है। इसके अलावा कई कारक खाने की नली में कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
आहार नली के कैंसर के लक्षण
– अनियमित रूप से वजन में कमी आना
– खट्टी डकार आना
– सीने में जलन
– निगलने में दर्द या कठिनाई महसूस होना
– भोजन करते समय बार-बार घुटन होना
– उल्टी होना