Home व्यापार छत पर सौर ऊर्जा इकाई स्थापना जुलाई-सितंबर में 34.7 प्रतिशत बढ़ीः मेरकॉम

छत पर सौर ऊर्जा इकाई स्थापना जुलाई-सितंबर में 34.7 प्रतिशत बढ़ीः मेरकॉम

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छत पर सौर ऊर्जा इकाई स्थापना जुलाई-सितंबर में 34.7 प्रतिशत बढ़ीः मेरकॉम

नई दिल्ली
 सौर ऊर्जा उपकरणों के दाम घटने से इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत में छत पर सौर ऊर्जा इकाइयों की स्थापना 34.7 प्रतिशत बढ़कर 431 मेगावाट हो गई। शोध फर्म मेरकॉम इंडिया ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

शोध फर्म ने कहा कि पिछले साल की समान तिमाही में छत पर 320 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई थी।

छत पर सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि वर्ष 2023 के पहले नौ महीनों में 1.3 गीगावाट से अधिक रही जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 1.2 गीगावाट थी।

मेरकॉम इंडिया ने जुलाई-सितंबर तिमाही की अपनी रिपोर्ट में कहा कि 30 सितंबर, 2023 को देश की कुल रूफटॉप सौर क्षमता 10.1 गीगावाट हो गई है।

मेरकॉम कैपिटल ग्रुप के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राज प्रभु ने कहा, ”हम छत पर सौर ऊर्जा स्थापना में तेजी की शुरुआत देख रहे हैं। उपकरणों की कीमतों में बड़ी गिरावट से इनकी खरीद बढ़ी है, जो छत पर सौर ऊर्जा निवेश के लिए आकर्षक रिटर्न देती है। हमें दो आगामी तिमाहियों में बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।”

अधिकांश सौर ऊर्जा इकाइयों की स्थापना आवासीय खंड में की गई जिसके बाद वाणिज्यिक और औद्योगिक इकाइयों का स्थान आता है।

छत पर सौर ऊर्जा इकाई लगाने के मामले में गुजरात 26.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है जिसके बाद महाराष्ट्र (13.5 प्रतिशत) और राजस्थान (8.3 प्रतिशत) हैं।

सितंबर, 2023 के आंकड़ों के अनुसार, छत पर सौर ऊर्जा इकाइयां लगाने के मामले में शीर्ष 10 राज्यों की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत है।

जनवरी से वाहनों के दाम बढ़ाने की तैयारी में होंडा

नई दिल्ली
 होंडा कार्स इंडिया उत्पादन लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए जनवरी से अपने वाहनों के दाम बढ़ाने की योजना बना रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। जापानी वाहन विनिर्माता होंडा भारत में अपने एलिवेट, सिटी और अमेज मॉडलों की बिक्री करती है।

होंडा कार्स इंडिया के उपाध्यक्ष (विपणन एवं बिक्री) कुणाल बहल ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि कंपनी उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से इसका बोझ कम करने के लिए अगले महीने से वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करेगी।

उन्होंने कहा, ‘इस महीने के अंत तक मॉडलों में की जाने वाली बढ़ोतरी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। हालांकि एलिवेट मॉडल को बाजार में उतारने के समय तय की गई कीमतें 23 दिसंबर तक ही वैध रहेंगी।’

होंडा के पहले मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और ऑडी इंडिया भी जनवरी, 2024 से अपने यात्री वाहनों की कीमतें बढ़ाने के संकेत दे चुकी हैं। इसके अलावा टाटा मोटर्स और मर्सिडीज-बेंज इंडिया भी मॉडलों के दाम बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं।

प्राकृतिक गैस में बायोगैस के मिश्रण से 1.17 अरब डॉलर की विदेशी पूंजी बचेगीः आईबीए

नई दिल्ली
 देश भर में आपूर्ति की जाने वाली प्राकृतिक गैस में पांच प्रतिशत बायोगैस के मिश्रण से सालाना 1.17 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बचाई जा सकेगी। इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने एक अध्ययन में यह कहा।

सरकार ने ‘संपीडित बायोगैस सम्मिश्रण दायित्व’ (सीबीओ) योजना के तहत पीएनजी में एक अप्रैल, 2025 से एक प्रतिशत बायोगैस का मिश्रण अनिवार्य करने का हाल ही में फैसला किया है। पाइपलाइन वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) में बायोगैस के मिश्रण को वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।

इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहल भारत को गैस-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार के व्यापक कदम के अनुरूप है। इसका लक्ष्य ऊर्जा मिश्रण में गैस की मौजूदा हिस्सेदारी को छह प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत करना है।

आईबीए का कहना है कि प्राकृतिक गैस में बायोगैस के पांच प्रतिशत मिश्रण से 1.17 अरब डॉलर का एलएनजी आयात घटाया जा सकता है। इससे प्रति व्यक्ति कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में भी दो प्रतिशत की कमी आ सकती है।

इसके साथ ही जैविक कचरे को कूड़ाघरों में जाने से भी रोका जा सकेगा जिसके कई लाभ हो सकते हैं। बायोगैस का उत्पादन कृषि अपशिष्ट, शहरी ठोस अपशिष्ट और खाद्य अपशिष्ट जैसे विभिन्न जैविक अपशिष्ट स्रोतों से किया जा सकता है।

सरकार का अनुमान है कि सीबीओ योजना लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को बढ़ावा देगी और वर्ष 2028-29 तक 750 संपीडित बायो गैस (सीबीजी) परियोजनाएं स्थापित करने में मदद करेगी।

आईबीए के मुताबिक, बायोगैस के मिश्रण से भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा क्योंकि वह फिलहाल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर है। पीएनजी और सीबीजी के साथ बायोगैस का मिश्रण इस निर्भरता को कम करने में मददगार हो सकता है।