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मध्य प्रदेश में 3 लाख 54 हजार सरकारी कर्मचारियों ने की बंपर वोटिंग

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भोपाल

एमपी में विधानसभा चुनाव के लिए कई सरकारी अधिकारियों कर्माचारियों की इलेक्शन ड्यूटी लगाई गई। इससे पहले पहले इनकी वोटिंग कराई गई। एमपी चुनाव में डाक मतपत्रों से अपना वोट दिया। सामने आया है कि इस बार बंपर वोटिंग की है। सरकारी कर्मचारियों की बंपर वोटिंग करने के चलते बीजेपी और कांग्रेस की धड़कने चुनाव परिणाम आने से पहले ही बढ़ गई है।

दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में जनता ने बंपर वोटिंग की है। इस बार महिलाओं के मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते पहले ही पार्टियां हार जीत का पता नहीं लगा पा रही है। अब कर्मचारियों के वोटिंग ने उनकी टेंशन और बढ़ा दी है। सामने आया है कि डाक मतपत्रों से इस बार 96 फीसदी मतदान हुआ है। इसके चलते स्टेट में हुए 77.15 प्रतिशत के औसत मतदान में और इजाफा होगा।

3 लाख से अधिक कर्मचारियों ने डाले वोट

एमपी में सफल मतदान कराने के लिए 64, 626 मतदान केंद्रों सहित 3 लाख 34 हजार 354 अधिकारियों कर्माचारियों के की ड्यूटी लगाई गई थी। ड्यूटी से पहले डाक मतपत्रों से उनके वोट ले लिए गए। 3 लाख 23 हजार से अधिक कर्मचारियों ने वोट किए। वहीं, 11 हजार से अधिक कर्मचारियों ने डाक मतपत्र जारी होने के बाद भी मतदान नहीं किया है। इस तरह 90 फीसदी मतदान हुआ है। इस वोटिंग के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदान में ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा कितना असर दिखाता है। इसका प्रभाव किस पार्टी पर दिखता है।

बीजेपी-कांग्रेस कर्मचारियों के लिए की कई घोषणाएं

पिछले चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी और कांग्रेस ने सरकारी कर्मचारियों को साधने के लिए इस बार बड़े बड़े वादे किए है। जहां कांग्रेस ने अपनी वापसी के लिए ओपीएस की बात कही है वहीं बीजेपी ने एनपीएस को और अधिक इफेक्टिव बनाने की बात कही है। इतना ही नहीं बीजेपी राज्य के कर्मचारियों का भत्ता केंद्र सरकार के जितना करने की भी कोशिश में लगी है। अब तो यह 3 दिसंबर का दिन ही बताएगा की कर्मचारियों को किसका वादा पसंद आया है।

2018 में कांग्रेस का पलड़ा था भारी

पिछले चुनाव यानी कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस का पलड़ा भारी था। जहां डाकमत पत्रों में से 45.61 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले थे जबकि बीजेपी को 40.16 प्रतिशत ही मतदान मिले थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी पर अधिक भरोसा जताया था।

घर से मतदान की सुविधा का हुआ उपयोग

सरकारी कर्मचारियों के अलावा इस बार दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए भी घर से मतदान करने की सुविधा दी गई थी। इसमें 51 हजार से अधिक बुजुर्गों ने तो वहीं करीब 13 हजार दिव्यांगों ने घर से मतदान किया। इसके अलावा 75 हजार से अधिक सेवा मतदाताओं ने डाक मतपत्रों से वोटिंग की है।

इस बार चुनाव में लगे 3 लाख 23 हजार से अधिक कर्मचारियों ने अपना मतदान किसे दिया है यह तो 3 दिसंबर के दिन पता चलेगा। लेकिन पिछले चुनाव को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके मतदान चुनाव रिजल्ट में अहम रोल प्ले कर सकते है। अधिकारियों-कर्मचारियों के 90 फीसदी मतदान ने पार्टियों की धड़कने तो बढ़ा ही दी है।