भोपाल
मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की तरह चार प्रतिशत अतिरिक्त डीए देने के प्रस्ताव पर तीन दिसंबर को मतगणना परिणामों की घोषणा के बाद नई सरकार ही निर्णय लेगी।
मध्यप्रदेश में कर्मचारियों के डीए में वृद्धि का निर्णय अमूमन कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखकर लिया जाता है। चूंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है इसलिए इस दौरान राज्य की मौजूदा सरकार कैबिनेट बैठक में इस तरह के नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती है। राज्य सरकार ने डीए वृद्धि के लिए प्रस्ताव मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के जरिए चुनाव आयोग को भेजा था लेकिन आयोग ने इसे निर्वाचन तक स्थगित रखने का निर्देश दिया था। अब तक न तो राज्य सरकार ने मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दुबारा प्रस्ताव भेजा न ही भारत निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में कोई दिशा निर्देश भेजे है।
इसके चलते मध्यप्रदेश में अभी तक प्रदेश के कर्मचारियों को चार प्रतिशत अतिरिक्त डीए देने के फैसले पर निर्णय नहीं हो पाया है। वित्त विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अब मतगणना की तारीख करीब आ गई है। चुनाव आयोग ने इसे लागू करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए है। इसलिए तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होंने के बाद जो नई सरकार बनेगी वही इसे देने की घोषणा करेगी और प्रदेश के मतदाताओं को तोहफे के रुप में प्रस्तुत करेगी।
राजस्थान में डीए देने की ये वजह
राजस्थान सरकार में कर्मचारियों को केन्द्र की तर्ज पर डीए देने के प्रस्ताव कभी भी कैबिनेट में नहीं लाए जाते। वहां शासन स्तर पर ही यह निर्णय लिया जाता है। राजस्थान में यह नियम है कि केन्द्र सरकार जब भी कर्मचारियों के डीए के संबंध में कोई निर्णय लेती है तो राजस्थान सरकार वहां उसे जस का तस इम्पलीमेंट कर देती है। इसलिए वहां केन्द्र की तर्ज पर राज्य के कर्मचारियों को डीए देने का निर्णय लिया जा चुका है। लेकिन मध्यप्रदेश में अलग परिस्थितियां है इसलिए यहां यह निर्णय लागू नहीं हो पाया है। चुनाव आयोग और वित्त विभाग के बीच यह निर्णय फसकर रह गया और लागू नहीं हो पाया।