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बांधवगढ़ में 5 लोगों की जान लेने वाले से 2 आदमखोर बाघ वन विहार भोपाल पहुंचे !

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भोपाल

मध्य प्रदेश में पांच लोगों को मौत के घाट उतारने वाले बांधवगढ़ रिजर्व पार्क के बाघों को भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क लाया गया है. दोनों बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी रेंज स्थित बहेरहा इंक्लोजन में बंद थे. हालांकि, दोनों बाघ शिकार करने में अक्षम हैं, उन्हें बचपन में ही मां ने छोड़ दिया था, इसलिए दोनों बाघ शिकार के दांव पेंच नहीं सीख पाए.

दरअसल, बांधवगढ़ रिजर्व पार्क प्रबंधन ने दो माह पहले ही बाघों को भोपाल में शिफ्ट करने के लिए वन मुख्यालय से अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलने के बाद अब दोनों बाघों को भोपाल लाया गया है. वन विहार लाए गए दोनों बाघों का स्वास्थ्य परीक्षण वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता द्वारा किया गया. दोनों बाघ स्वस्थ हैं और दोनों की उम्र पांच साल है.

दोनों बाघ ले चुके हैं पांच लोगों की जान
बताया जा रहा है कि, इनमें से एक बाघ को मार्च महीने में रेडियो कॉलर पहनाकर जंगल में छोड़ा गया था, लेकिन यह शिकार नहीं कर पा रहा था. वहीं दूसरा बाघ पहले से ही जंगल में था, जो आदमियों को देखते ही हमला कर रहा था. इसलिए इसे भी रेस्क्यू किया गया. प्रबंधन के अनुसार दोनों के हमले में अब तक पांच लोगों की जान चली गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ है. 

वन विहार में अब पांच बाघ-बाघिन
वन विहार नेशनल पार्क संचालक पद्मप्रिया बालाकृष्णन के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाए गए दोनों बाघ शिकार करने में अक्षम हैं. दोनों बाघों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, दोनों बाघ पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. इन दोनों बाघ के जाने से वन विहार नेशनल पार्क में अब पांच बाघ-बाघिन, दो तेंदुआ शावक और एक भालू रेस्क्यू सेंटर में हैं.

5 इंसानों को मार चुके हैं दोनों बाघ

पार्क प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ये दोनों बाघ अब तक 5 लोगों की जान ले चुके हैं। पतौर इलाके से पकड़ गए एक बाघ ने दो लोगों पर हमला कर उन्हें मार दिया था जबकि एक व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

इधर, मानपुर फॉरेस्ट एरिया से पकड़ा गया बाघ ज्यादा आक्रामक था। उसने इस एरिया के तीन लोगों की जान ली थी। ये दोनों टाइगर 6 माह पहले रेस्क्यू किए गए थे और उसके बाद से टाइगर रिजर्व के मगधी जोन के बहेराहा इनक्लोजर में रखे गए थे। वन विभाग ने पकड़ने के बाद दोनों बाघों के स्वभाव का अध्ययन कराया। बिहेवियर को लेकर हुई रिसर्च में एक्सपर्ट्स ने पाया कि ये दोनों टाइगर अब खुले जंगल में रहने के अनुकूल नहीं हैं, लिहाजा इन्हें वन विहार भोपाल शिफ्ट कर दिया जाए।

क्यों हुआ स्वभाव में बदलाव

टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया कि दोनों ही टाइगर जंगल की अपनी टेरिटरी की सीमा को छोड़कर सटे हुए गांवों में विचरण कर रहे थे। इसके साथ ही दोनों बाघों का स्वभाव बेहद आक्रामक हो गया था और वे आसान शिकार के लिए इंसानों के साथ ही लगातार मवेशियों पर हमला करने के आदि हो चुके थे। लगभग 6 माह तक हुए अध्ययन के बाद सामने आया कि अब ये दोनों जंगल के भीतर सरवाइव करने लायक नही हैं और यदि इन्हें वापस घने जंगलों के भीतर छोड़ा गया तो यह भूख या किसी बड़े बाघ के हमले में मारे जा सकते हैं। यही कारण रहा कि इन्हें वन विहार शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया।