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BRICS में क्यों शामिल होना चाह रहा पाकिस्तान, चार मुस्लिम देशों की संगत से फायदे क्या?

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नई दिल्ली
दुनिया के नक्शे पर तेजी से उभरती पांच अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स (BRICS)  की सदस्यता पाने के लिए पाकिस्तान ने आवेदन दिया है। रूस में पाकिस्तान के नवनियुक्त राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली ने हाल ही में कहा था कि उनका देश ब्रिक्स की सदस्यता पाने के लिए रूस समेत अन्य ब्रिक्स सदस्यों से समर्थन जुटाने के लिए संपर्क कर रहा है। 2024 में रूस 16वें ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

इससे पहले इसी साल 15वें शिखर सम्मेलन में छह नए देशों की सदस्यता पर मुहर लगी थी। ब्रिक्स के नए सदस्य बनने वाले छह देशों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इथोपिया, मिस्र और अर्जेंटीना शामिल है। इन छह देशों में से चार मुस्लिम देश हैं। इनकी सदस्यता जनवरी 2024 से शुरू होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने भी अगले साल सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे पड़ोसी देश रूस को आवेदन दिया है और उससे इस मुद्दे पर समर्थन मांगा है। पाकिस्तान ने चीन से भी सदस्य देश बनाने में सहयोग मांगा है।

करीब 50 फीसदी हो जाएगी ब्रिक्स देशों की आबादी
चूँकि, पाकिस्तान के लगभग सभी पड़ोसी देश- भारत, चीन, ईरान ब्रिक्स के सदस्य हैं- या जल्द ही हो जाएंगे। इसलिए, दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान भी इस गुट का हिस्सा बनना चाहता है। ब्रिक्स में फिलहाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य देश हैं। अगर पाकिस्तान भी ब्रिक्स का सदस्य देश बन जाता है तो, वह उस मजबूत आर्थिक तंत्र का हिस्सा बन जाएगा जहां पूरी दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी वास करती है। छह नए देशों के सदस्य बन जाने के बाद ब्रिक्स के कुल 11 देशों की कुल आबादी 3.7 अरब हो जाएगी जो,जो पूरी दुनिया की आबादी का करीब 50 फीसदी है।

पाकिस्तान क्यों चाह रहा सदस्यता?
2001 में अपनी स्थापना के बाद से ही ब्रिक्स का लक्ष्य सदस्य देशों के बीच सहयोग, आर्थिक विकास और प्रभाव को बढ़ावा देना है। ब्रिक्स में शामिल होने का एक प्राथमिक लाभ इसकी सामूहिक आर्थिक शक्ति है। सदस्य देश अपनी विशाल आबादी और प्रचुर संसाधनों के साथ सामूहिक रूप से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बड़ा योगदान देते हैं।
 
मौजूदा समय में ब्रिक्स के पांच देशों (ब्राजील,रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का पूरी दुनिया की जीडीपी में संयुक्त योगदान 31.5% है। अपने नए सदस्यों के साथ साल 2030 तक इस संगठन का वैश्विक जीडीपी में योगदान 50% से अधिक होने की संभावना है, जो जी7 देशों (कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) के योगदान से काफी अधिक होगा।

पाकिस्तान को क्या-क्या फायदे?
ऐसे में पाकिस्तान के लिए, ब्रिक्स का सदस्य देश बनने का सबसे बड़ा फायदा उस पर इन देशों की एक संयुक्त आर्थिक ताकत का असर होगा। ब्रिक्स देशों की उभरती अर्थव्यवस्था और दुनिया में बढ़ती आर्थिक धाक की वजह से पाकिस्तान, बतौर सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों पर प्रभाव डाल सकेगा और व्यापार संबंधों में अधिक अनुकूल शर्तों पर बातचीत करने की क्षमता हासिल कर सकेगा।

एंग्रो कॉर्पोरेशन के पूर्व प्रबंधक और विश्लेषक, डॉ. शाहिद रशीद ने स्पुतनिक को बताया कि ब्रिक्स सदस्य बनने से पाकिस्तान को पारंपरिक पश्चिमी बाजारों पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है और उसे अन्य सदस्यों के बढ़ते उपभोक्ता आधार में प्रवेश करने का मौका मिल सकता है। उन्होंने कहा, “अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों की नीतियां विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की समृद्धि पर आधारित नहीं हैं – बल्कि आधिपत्य और नियंत्रण पर आधारित हैं, जबकि, ब्रिक्स, जिसमें ज्यादातर विकासशील देश शामिल हैं, का लक्ष्य आर्थिक समृद्धि हासिल करना है।"

ब्रिक्स देशों का बैंक
ब्रिक्स के सदस्य देशों द्वारा न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना का उद्देश्य सहयोगी देशों की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं का समर्थन करना है। ऐसे में अगर पाकिस्तान ब्रिक्स का सदस्य देश बन जाता है तो उसे NDB की आर्थिक विकास और वित्तीय समृद्धि को बढ़ावा देने की पहल का सीधा लाभ मिल सकता है।

तेल का भी खेल
इसके अलावा, अगले साल सऊदी अरब, यूएई और ईरान जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों के ब्रिक्स में शामिल होने से वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सकेगी और ऐसी चर्चा है कि ब्रिक्स देश व्यापार करने के लिए अपनी मुद्रा पेश कर सकते हैं।

एक विश्लेषक के अनुसार, "ब्रिक्स जल्द ही सोने या अपनी मुद्रा में व्यापार कर सकता है और इससे पाकिस्तान को अंतहीन लाभ हो सकता है क्योंकि यह इन तेल समृद्ध देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को विकसित करने और मजबूत करने के अधिक मौके उपलब्ध करा सकता है।" इसके अलावा, पाकिस्तान के सदस्य बनने से वहां अधिक निवेश आ सकता है, जिससे पाकिस्तान में नौकरी के अवसर बढ़ सकेंगे और वहां बेरोजगारी और गरीबी में कमी आ सकेगी।