जयपुर.
पूरे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जिस बात का सबसे ज्यादा डर सता रहा था, वह जी फैक्टर यानी गुर्जरों की नाराजगी का था। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर वोटरों का प्रभाव था कि पिछली बार कांग्रेस, निर्दलीय और बसपा ने मिलाकर 39 में से 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी सिर्फ 4 सीटों पर सिमट गई थी। वजह थी सचिन पायलट, जिनके प्रभाव से गुर्जर वोटरों ने अपनी जाति के प्रत्याशी को भी छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में वोट किया था।
जिसके चलते बीजेपी के सभी 9 गुर्जर प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बार पूर्वी राजस्थान में वोटिंग पैटर्न बदला है। कई सीटों पर वोटिंग पिछली बार से कम हुई है तो कई सीटों पर बढ़ी है। जिन सीटों पर बढ़ी है वहां गुर्जर प्रत्याशी हैं। यह संकेत हैं कि गुर्जर वोटरों का रुझान इस बार सिर्फ जाति की तरफ रहा है।
बांदीकुई- वोटिंग कम हुई
इनमें दौसा जिले में 5 सीटें हैं जिनमें से तीन सरकार में मंत्री हैं। बांदीकुई सीट पर पायलट समर्थक गजराज खटाना ने चुनाव लड़ा। यहां 2018 में 77.6 % पोलिंग हुई थी, इसबार बढ़कर 80.18 % पोलिंग हुई है।
दौसा- 5 प्रतिशत तक वोट घटे
यहां से सरकार में मंत्री मुरारी लाल मीणा ने चुनाव लड़ा है। 2018 के चुनावों में यहां 80.9 % पोलिंग हुई थी। इस बार यहां पोलिंग घट कर 74.20% रह गई।
लालसौट- यहां वोटिंग घटी
यहां से सरकार के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा प्रत्याशी हैं। इस सीट पर 2018 में 78.6 % वोटिंग हुई थी। इस बार घटकर 77.22 % रह गई।
सिकराय- वोटिंग घटी
यहां से सरकार की महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश चुनाव लड़ रही हैं। प्रियंका गांधी ने यहां सभा की थी। लेकिन कई वायरल वीडियो ऐसे आए जिनमें क्षेत्र में ममता भूपेश का भारी विरोध देखने को मिला। इस सीट पर भी वोटिंग पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुई है।
महुआ- ईडी की रेड हुई थी
यहां कांग्रेस प्रत्याशी ओम प्रकाश हुडला के घर चुनावों से ठीक पहले ईडी की रेड भी हुई थी। यहां पिछले चुनावों के मुकाबले वोटिंग तीन प्रतिशत तक घटी है।
करौली- गुर्जर प्रत्याशी वाली सीट पर सबसे ज्यादा पोलिंग
करौली में हिंडौन, करौली, सपोटरा और टोड़ाभीम सीट आती है। इनमें करौली और सपोटरा को छोड़ बाकी दोनों सीटों पर वोटिंग पिछले चुनावों से कम हुई है।
करौली-यहां सबसे ज्यादा वोट
यहां कांग्रेस के लाखन मीण सामने बीजेपी ने गुर्जर उम्मीदवार दर्शन सिंह को मैदान में उतारा है। इस सीट पर जिले में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है।
सपोटरा
यहां कांग्रेस के मंत्री रमेश मीणा मैदान में हैं। इस सीट पर भी पिछले चुनावों के मुकबाले वोटिंग ज्यादा हुई है।
हिंडौन
यहां कांग्रेस ने अपने विधायक भरोसी लाल जाटव का टिकट काटकर अनीता जाटव को दिया है। इस सीट पर भी पिछले चुनावों के मुकाबले वोटिंग कम हुई है।
टोडाभीम
यहां पायलट समर्थक पीआर मीणा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार इस सीट पर भी वोटिंग करीब 2 प्रतिशत तक गिरी है।
अलवर
यहां सीटों पर ध्रुवीकरण का दिखा असर
तिजारा
यहां पिछले चुनावों में 82.08 प्रतिशत पोलिंग हुई जो इस बार बढ़कर 86.11 प्रतिशत हो गई। वजह है धार्मिक ध्रुविकरण। बीजेपी के बाबा बालकनाथ का मुकाबला यहां कांग्रेस के इमरान से हुआ है।
रामगढ़
यह सीट भी हिंदू-मुस्लिम के समीकरण में उलझी हुई है। इसका असर वोटिंग पर भी हुआ। पिछले चुनाव में यहां 70.49 प्रतिशत वोटिंग हुई जो इस बार बढ़कर 77.08% हो गई।
अलवर ग्रामीण
यहां कांग्रेस के मंत्री टीकाराम जूली विधायक हैं। इस सीट पर वोटिंग 8 प्रतिशत तक की गिरावट है। पिछले चुनावों में यहां 82.08 प्रतिशत वोट पड़े थे इस बार यह घटकर 74.50 प्रतिशत रह गई।
अलवर शहर
यह सीट बीजेपी के पास है। इस बार यहां वोटिंग प्रतिशत कम रहा है।
किशनगढ़बास
किशनगढ़ बास में कांग्रेस ने दीपचंद खेरिया को प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला बीजेपी के रामहेत यादव से है। इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत मामूली बढ़ा है।
थानागाजी
इस सीट पर बीजेपी ने गुर्जर प्रत्याशी हेम सिंह भड़ाना को मैदान में उतरा है। हालांकि यहां मीणा वोटरों का भी खास प्रभाव है और कांग्रेस की तरफ से कांति मीणा मैदान में है। हालांकि यहां वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुआ है।
बानसूर
यहां कांग्रेस की मंत्री शकुंतला रावत मैदान में है। यह सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी है। पिछले चुनावों में यहां 75.35 प्रतिशत वोट डाले गए थे इस बार यह घटकर 71.24 प्रतिशत रह गई है।
बहरोड़
यह यादव बाहुल्य सीट है। कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय तीनों के बीच कड़ी टक्कर है। वोटिंग प्रतिशत लगभग उतना ही रहा है।
कठूमर
यहां कांग्रेस ने अपने विधायक बाबूलाल बैरवा का टिकट बदला है। इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत कम रहा है।
राजगढ़ लक्ष्मणगढ़
यहां भी कांग्रेस ने अपने विधायक जोहरी लाल मीणा का टिकट काटा है। वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में कम रहा है।
सवाई माधोपुर
सवाई माधोपुर की चार सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है। यहां बामनवास, गंगापुर, खंडार और सवाईमाधोपुर सीट है। इस जिले में गुर्जरों का खास प्रभाव है। जिले की इस सीट पर कांग्रेस विधायक दानिश अबरार के सामने बीजेपी के किरोड़ी लाल मीणा हैं। सचिन पायलट का साथ नहीं देने की वजह दानिश का यहां के गुर्जरों में भारी विरोध है। यहां पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार वोटिंग बढ़ी है। इसी तरह बामनवास, गंगापुर और खंडार में भी वोटिंग पिछली बार के मुकाबले बढ़ी है।
धौलपुर-राजाखेड़ा में बंपर वोटिंग, वजह पायलट
धौलपुर में चार सीटे हैं। इनमें धौलपुर, बाड़ी, बसेड़ी और राजाखेड़ा शामिल हैं। इसमें राजाखेड़ा सीट पर इस बार बंपर वोटिंग हुई। इसकी वजह सचिन पायलट है। यहां से विधायक रोहित बोहरा ने पायलट का साथ नहीं दिया था। गुर्जर इस बात से नाराज हैं। इनकी सीट पर 77 प्रतिशत से ज्यादा पोलिंग हुई है।
बाड़ी
यहां बीजेपी ने कांग्रेस के प्रत्याशी गिर्राज मलिंगा को इंपोर्ट किया है। मतदान के दौरान यहां कई जगहों पर हिंसा की वारदात के वीडियो सामने आए। हालांकि इस बार यहां वोटिंग 4 प्रतिशत कम रही है। लेकिन इसके बावजूद 84 प्रतिशत वोट पड़े हैं।
बसेड़ी
यहां कांग्रेस ने अपने विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा का टिकट काट दिया। वे पहले गहलोत खेमें में थे बाद में पायलट के समर्थन में चले गए। यहां वोटिंग में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
धौलपुर
यह सीट कुशवाह जाति के वर्चस्व वाली है। यहां कांग्रेस और बीजेपी ने एक दूसरे के प्रत्याशियों की अदला-बदली की है। यहां भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।