नई दिल्ली.
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने रविवार को एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया को हमें धर्मनिरपेक्षता सिखाने की जरूरत नहीं। भारत में हमेशा से सेक्युलरिजम रचा बसा है। उन्होंने कहा कि भारत में हुणों का भी स्वागत हुआ और कुषाणों का भी। इसके अलावा इस्माम का भी खुली बांह से स्वागत किया गया। भारत इतना समृद्ध था कि हर किसी का स्वागत करता था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अब विकास के लिए आत्मनिर्भर होकर अपने ही मॉडल पर काम करने की जरूरत है। किसी और देश को देखकर कुछ करने की जरूरत नहीं है।
बता दें कि मोहन भागवत ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में दो दिनों के लिए पहुंचे थे। एक सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। सेमिनार का टॉपिक 'स्व आधारित भारत' था। भागवत ने कहा, 'दुनिया को हमें सेक्युलरिजम की शिक्षा देने की जरूरत नहीं है। आजादी के बाद से ही हमारे संविधान में सेक्युलरिजम है। हमने हमेशा विविधिता का सम्मान किया है और भारत सभी के सुखी होने की कामना करता है। यहां की भूमि इतनी समृद्ध थी कि सबका दिल खोलकर स्वागत किया। जो लोग अध्यात्मिक या फिर लौकिक शरण के लिए आए उनका भी स्वागत किया गया।' भागवत ने कहा कि किसी और देश का मॉडल कॉपी करने की जगह स्व आधारित शक्ति का उपयोग करना चाहिए। जब तक हम अपनी ताकत पर भरोसा नहीं करेंगे तब तक विश्वगुरु नहीं बन पाएँगे। हमने 10 हजार साल तक खेती की और उससे भूमि को नुकसान नहीं होता था। हमारे धर्म ने हमें अपने पर्यावरण का ध्यान रखना सिखाया है। लेकिन आज हम दूसरे देशों के मॉडल को फॉलो करते हैं और पर्यावरण का नुकसान होता है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बात करते हुए कहा कि हमें इसका भी प्रयोग सावधानी से करना है।
अमेरिका ने उड़ाया था मजाक
मोहन भागवत ने कहा कि जब चीन ने हमपर हमला कर दिया तो हमने अमेरिका से मदद मांगी। तब अमेरिकियों ने हमारा मजाक बनाया कि चीन हमें पीच रहा है। लेकिन 2014 के बाद पाकिस्तान में घुसकर उसे मारा। इसका मतलब हमें अपनी शक्ति का अहसास होगया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हनुमान जी को जामवंत ने शक्ति की याद दिलाई थी उसी तरह हमें भी अपनी शक्ति को जगाना है। अभी भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने कहा था कि 1947 में भारत केवल राजनीतिक और आर्थिक रूप से आजाद हुआ था लेकिन सामाजिक आजादी के लिए अभी प्रयास बाकी हैं। इसके लिए भेदभाव की दीवार तोड़नी होगी। भागवत ने कश्मीर का जिक्र करते हए कहा कि हमें लंबे समय के बाद न्याय मिला है। कश्मीरी पंडितों को लंबे समय बाद न्याय मिला। हमारा धर्म यही सिखाता है कि कितना भी अत्याचार हो पर अपना धर्म का रास्ता ना छोड़ो। हमने आज योग और आयुर्वेद को दुनियाभर में फैलाया और दुनियाभर में इसका स्वागत हो रहा है। इसी तरह हमें दुनियाभर में चल रहे युद्धों को रोकने के लिए भी अध्यात्मिक शक्ति का विस्तार करने की जरूरत है।