भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आए नहीं हैं, इसके बावजूद कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जो अपने मंत्री बनने की उम्मीद लगा चुके हैं। इस उम्मीद के साथ ही वे एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। वे अपने स्टाफ में बेहतर अफसर रखने की चाह में ओएसडी की तलाश में अभी से जुट गए हैं।
राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अफसरों के पास उम्मीदवारों के फोन अभी से पहुंचने लगे हैं। खासबात यह है कि इसमें कांग्रेस नेताओं की संख्या ज्यादा है। दोनों ही दलों को लग रहा है कि उनके ही दल की सरकार बन रही है, राजनीतिक समीकरणों को समझते हुए इनमें से कई उम्मीदवार यह मान चुके हैं कि वे न सिर्फ चुनाव जीत रहे हैं, बल्कि इस बार उनके दल की सरकार बनी तो वे मंत्री का पद भी पाने में सफल रहेंगे। इस उम्मीद के चलते उन्होंने अपने लिए अपने सबसे करीबी या चहेते अफसरों को मोबाइल लगाना शुरू कर दिया है। सूत्रों की मानी जाए तो इन अफसरों से नेता कह रहे हैं कि वे किसी और मंत्री के स्टाफ में न जाएं, उन्हें वे अपने स्टाफ में रखेंगे। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को ओएसडी बनाए जाने का वादा किया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि कुछ अफसरों के पास दोनों ही दलों के नेताओं के फोन उन्हें ओएसडी बनाए जाने के लिए पहुंचे। कई ऐसे भी अफसर हैं जिनसे पास ही एक ही दल के कई उम्मीदवारों के फोन ओएसडी बनाए जाने के आफर के लिए पहुंच रहे हैं।
कुछ इस अंदाज में हो रही बातचीत
बताया जाता है कि अफसरों के पास पहुंच रहे फोन पर उम्मीदवार पहले तो अफसरों के हाल चाल जानते हैं। अफसर उन्हें जीत की बधाई देते हैं। कुछ देर इधर-उधर की बात के बाद उम्मीदवार, अफसर से कहते हैं कि वे मंत्री बन रहे हैं और उन्हें (अफसर को ) ओएसडी के पद पर उनका काम देखना है, साथ ही यह भी जोड़ा जाता है कि पहले इसलिए बता दिया कि किसी और नेता के यहां जाने का वादा मत कर देना।
कुछ अफसर दोनों पार्टियों के संपर्क में
मंत्रालय में पसंदीदा स्थानों पर बने रहने के लिए कुछ ब्यूरोक्रेट्स ने तो भाजपा और कांग्रेस सरकार में संभावित मुख्यमंत्रियों और उनके सलाहकारों से संपर्क भी शुरू कर दिया है। कुछ अफसर ऐसे भी है जो भाजपा और कांग्रेस दोनों स्थानों पर संपर्क बनाए हुए है। सरकार किसी की भी बने इनकी मलाईदार विभागों में पोस्टिंग तय है।
बैंस को मिल सकता है एक्सटेंशन
कुछ नौकरशाहों के बीच यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहली पसंद इकबाल सिंह बैंस है और उन्हें एक माह से लेकर तीन माह तक का एक्सटेंशन दिलाया जा सकता है। क्योंकि केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार है तो परिणाम आने से पहले यह भी संभव है।
मंत्रालय में ब्यूरोक्रेट्स का एक ही सवाल किसकी बनेगी सरकार !
मतदान के बाद अब चुनावी गुणा भाग में मंत्रालय के ब्यूरोक्रेट्स भी लगे हुए है। विश्लेषण एजेंसियों, मीडियाकर्मियों और बाहर से मंत्रालय आने वालों से चर्चा के दौरान अब नौकरशाहों का उनसे एक सवाल जरुर होता है कि तीन दिसंबर को किसकी सरकार बन रही है। मंत्रालय में सभी की निगाहें नई सरकार को लेकर है। भाजपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव बनने का मौका किसे मिलेगा और कांग्रेस की सरकार बनी तो मनीष रस्तोगी इस जिम्मेदारी से मुक्त होंगे फिर किसी अन्य को यह मौका दिया जाएगा।
इस तरह के सवालों पर नौकरशाह मीडिया कर्मियों और अन्य वरिष्ठ अफसरों से चर्चा कर टोल लेने में लगे है। मंत्रालय में नौकरशाहों के बीच एक और सवाल सबसे ज्यादा चर्चाओं में है कि इस महीने के बाद प्रदेश का प्रशासनिक मुखिया कौन होगा। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैँस का कार्यकाल इसी माह समाप्त हो रहा है और इसके बाद प्रदेश में तीन दिसंबर को मतगणना होना है। नई सरकार का गठन होना है। मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव से लेकर सचिव, अपर सचिव, उप सचिव और विभागाध्यक्षों तक की रुचि इसमें है कि अगला मुख्य सचिव कौन होगा। अफसरों के बीच चर्चा इस बात की भी है कि भाजपा की सरकार आई तो वीरा राणा, मोहम्मद सुलेमान, मलय श्रीवास्तव, राजेश राजौरा में से कोई मुख्य सचिव बन सकता है वहीं अनुराग जैन को भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है। वहीं कांग्रेस की सरकार आई तो केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से संजय बंदोपाध्याय को वापस बुलाया जा सकता है या फिर मोहम्मद सुलेमान को भी मुख्य सचिव बनाया जा सकता है।