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भारत-ऑस्ट्रेलिया फाइनल के बीच सोमवार को टू प्लस टू वार्ता, दोनों देशों के मंत्री बनाएंगे रणनीति

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नई दिल्ली
भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा तथा विदेश मंत्रियों के बीच दूसरी टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता सोमवार को यहां होगी। ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और विदेश मंत्री पेनी वोंग वार्ता के लिए रविवार को दो दिन की भारत यात्रा पर आ रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों के साथ वार्ता की सह अध्यक्षता करेंगे।  टू प्लस टू वार्ता से पहले दोनों देशों के मंत्री द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। दोनों देशों के बीच पहली टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता सितंबर 2021 में हुई थी।

भारत और ऑस्ट्रेलिया एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी का अनुसरण कर रहे हैं और मंत्री मार्लेस की यात्रा से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गति मिलने की उम्मीद है। टू प्लस टू वार्ता और द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों देशों के आपसी हित के व्यापक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। यात्रा के दौरान मंत्री मार्लेस 19 नवंबर को अहमदाबाद, गुजरात में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट विश्व कप फाइनल मैच देखने जाएंगे।

सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता में रक्षा और सुरक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने पर फोकस करने की उम्मीद है। 
 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों क्वाड अलायंस का हिस्सा हैं, जो एक स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने पर केंद्रित है। क्वाड के अन्य दो सदस्य अमेरिका और जापान हैं।
 
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता सितंबर 2021 में हुई थी। भारत के पास अमेरिका और जापान सहित बहुत कम देशों के साथ बातचीत के लिए ऐसा फ्रेमवर्क है। भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मत्रियों ने हाल ही में दस नवंब को नई दिल्ली 'टू प्लस टू' बैठक की है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में आगे बढ़ रहे हैं।
 
जून 2020 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया और रसद समर्थन के लिए सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। पारस्परिक रसद समर्थन समझौता (एमएलएसए) दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत और आपूर्ति की पुनःपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देता है, इसके अलावा समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करता है।